Akanksha Rai   (Akanksha rai (अक्स))
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Joined 8 September 2017


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29 OCT 2017 AT 0:04

मैं अब भी इंतज़ार में हूँ एक कोशिस के तेरे
तू अपनी दोस्ती पे थोड़ा एतबार तो दिखा
तू जता की तुझे भी कद्र है मेरी
मैं दौड़ कर हर फासला मिटा दूँगी
तू मेरी तरफ एक कदम तो बढ़ा

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18 SEP 2017 AT 2:45

Kitne sapne aise the jinhone sone nahi dia
Dunia ke sawaalon ne mujhe jee bhar k rone nahi dia

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21 FEB 2021 AT 0:07

Koi puche mera haal, kehna main safar me hun
Gali, gaon, seher me nahi, main samandar ki lehar me hun
Koi puche mera haal, kehna main safar me hun

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16 NOV 2020 AT 0:20


रात के अंधेरे मे, तारों को टिमटिमाते देखा है।
दुख में मैने जिन्दगी को वजह ढूंढ मुस्कुराते देखा है।
मैने देखा है मजबूत खड़े वृक्ष को आंधियों मे गिरते
एक छोटे से पौधे को मगर उसी आँधी मे जड़ पकड़ मचलते देखा है।
मैने जिन्दगी को गिरते, फिर उसे गिर कर संभलते देखा है।

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31 OCT 2020 AT 1:16


बज़्म बैठाई और सज़ा सुना दी, ना नियत देखी ना मेरा प्यार देखा।
करते वक़्त मेरे किस्मत का फैसला कुन्बे ने रिवयते देखी, पर ना मुझे देखा ना मेरा हाल देखा।

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26 OCT 2020 AT 1:08

रिश्तो की सच्चाई उस त्योहार से पूछों जिसे तुमने अकेले बिताया हो। दूर हो सबकी नज़र से और किसिका फोन भी ना आया हो।

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3 AUG 2020 AT 18:35


उम्मीद भरी आँखो को गमों से क्यो ठगे
मौत सच है जिन्दगी का मगर फिर धोखे सी क्यो लगे
जो सोता नही था कभी सबके सोने से पहले
वो आज कैसे यूं मुह फेरे सोया है
जिसने कभी किसी को कोई कमी होने नही दी
आज उसकी कमी मे सारा घर रोया है
माँ डरी हुई है कुछ समझ नहीं पा रही
पापा छुप छुप के रो लेते है
बुआ काम करते करते कभी जब अपको आवाज दे देती है
खुद को खुद ही सही कर के खुद ही आंसू पोछ लेती है
शोर गुल मे भी जो ये बेबस सी खामोशी है
10 दिन निकल गए पर आज भी वैसी है
उम्मीद भरी आँखो मे केवल खामोशी है
मौत सच है मगर बिल्कुल धोखे जैसी है

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15 MAY 2020 AT 3:34


माँ, बेटी, बीवी, औरत ने हर रूप मे तुम्हे संभाला हैं
तुम खुदगर्ज़ हो या बेपरवाह तुमने उसे हर पल नकारा है
समाजिक रुढ़ियों का एक पहाड़ बना कर चढ़ा दिया उस पर उसे
कभी नज़र, कभी नज़रिये से हर रोज़ उसे दुत्कारा है
जिसकी दुनिया ही बन गए थे तुम
जिसने खो कर अपने सपने, तुम्हारे सपनो को अपनी आँखो मे उतारा हैं
क्या कभी तुमने पुछा उसका हाल क्या कभी जब वो कमज़ोर पड़ी तुमने उसे संभाला हैं?

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21 MAR 2020 AT 0:48

मेरे बगल से 200 की स्पीड मे गुज़रती गाड़ी वालों से ये अक्सर पूछना चाहा मैने

घर जल्दी पहुँचना ज़रुरी है

या

पहुँचना जरुरी है

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21 MAR 2020 AT 0:42

देखा है मेरी सफलता का सुरज सबने मैं कितनी रातें हारा ये कोई नही जानता
मुझे देख उचाईयों पर जो निहारते नही थकते, मैं कितनी बार इंन रास्तों पर गिरा और सम्भला कोई नही जानता
जो आज मेरी कहानियां सुनते है चाव से, वो मेरी इन्ही बातों को कभी फिजूल कहते थे
जिनकी रौनक का मैं आज एक अहंम हिस्सा हुं, वो कभी मुझे पहचानने से कतराते थे कोई नही जानता
सब देखते है मेरी मुस्कान मगर उनके पिछे छुपी थकान कोई नही जानता

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