Akanksha Gupta   (___ Akanksha__)
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Joined 13 October 2019


Joined 13 October 2019
18 NOV 2022 AT 14:05

"जो अपने आप को पढ़ सकता है,
वो दुनिया में कुछ भी सीख सकता है ....."

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16 NOV 2022 AT 14:07

दूसरों के चेहरे हम याद रखें हमारी ऐसी फितरत नहीं लोग हमारा चेहरा देख के अपनी फितरत बदल ले ऐसी हमारी फितरत है I"

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1 JAN 2022 AT 10:44

Many of us have had a difficult year this year with illness, loss, uncertain employment, and isolation due to COVID-19. With that in mind, here are some New Year messages you could use as a starting point to write your own notes of encouragement to friends and family. I hope these examples help you find the right words to bless and encourage those around you this new year.

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1 SEP 2021 AT 19:01

कल ना हम होगे ना कोई गिला होगा ।
सिर्फ सिमटी हुईं यादों का सिलसिला होगा ।
ये जो लम्हा है चलो हस कर बीता ले ।
ना जाने कल जिन्दगी का क्या फैसला होगा ।।

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17 AUG 2021 AT 22:01

हस कर जीना दस्तूर है जिन्दगी का,,
एक ये ही किस्सा मसहूर है जिन्दगी का ,,,
बीते हुए कल कभी लौट कर नहीं आते,,
ये ही सबसे बड़ा कसूर है जिन्दगी का ।

जिन्दगी के हर एक पल को खुशी से बिताओ,,,
रोने का वक्त कहां तुम सिर्फ मुस्कुराओ ,,
दुनिया चाहे कहे पागल आवारा,,
तुम याद रखना " जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा"।।

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31 JUL 2021 AT 21:59

जो खैरात में मिलती
“कामयाबी “
तो हर शख्स कामयाब होता ,
फिर न कदर होती किसी हुनर की
और न ही
कोई शख्श लाजवाब होता।

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13 JUL 2021 AT 21:53

""""खोल दे पंख मेरे ....
कहता है परिंदा,
अभी और उड़ान बाकी है, 
जमीन नहीं है मंजिल मेरी,
अभी पूरा आसमान बाकी है। 


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24 FEB 2021 AT 21:58

""जब तक आप जीत नहीं जाते

तब तक किसी को आपके

कहानी में INTEREST नहीं होगा

तो पहले दुनिया को जितके दिखाओ"".


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13 JAN 2021 AT 21:49

सिर्फ मरी हुई मछली को ही

पानी का बहाव चलती हैं

जिस मछली में जान होती है वह

अपना रास्ता खुद बनती हैं।

कुछ अलग अगर करना हैं तो भीड़ से

हट कर चलो

भीड़ साहस तो देती हैं पर पहचान

छीन लेती हैं।

कभी हार मत मानो !

क्या पता

आपकी अगली कोशिश ही आपको

कामयाबी की ओर ले जाएं

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6 JAN 2021 AT 20:59

दिसंबर और जनवरी का रिश्ता.?
जैसे पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा ..

दोनों काफ़ी नाज़ुक हैं, दोनों मे गहराई है,
दोनों वक़्त के राही हैं, दोनों ने ठोकर खायी है ..

यूँ तो दोनों का है वही चेहरा, वही रंग,
उतनी ही तारीखें और उतनी ही ठंड ..
पर पहचान अलग है दोनों की,
अलग है अंदाज़ और अलग हैं ढंग ..

एक अन्त है, एक शुरुआत
जैसे रात से सुबह, और सुबह से रात ..
एक में याद है, दूसरे में आस,
एक को है तजुर्बा, तो दूसरे को विश्वास ..

दोनों जुड़े हुए हैं ऐसे, धागे के दो छोर हों जैसे,
पर देखो दूर रहकर भी, साथ निभाते हैं कैसे ..
जो दिसंबर छोड़ के जाता है, उसे जनवरी अपनाता है,
और जो जनवरी के वादे हैं, उन्हें दिसम्बर निभाता है ..

कैसे जनवरी से दिसम्बर के सफ़र में,
11 महीने लग जाते हैं ..
लेकिन दिसम्बर से जनवरी, बस १ ही पल में पहुंच जाते हैं !!
जब ये दूर जाते हैं तो हाल बदल देते हैं,
और जब पास आते हैं तो साल बदल देते हैं ..

देखने में ये साल के महज़ दो महीने ही तो लगते हैं,
लेकिन ..
सब कुछ बिखेरने और समेटने का वो कायदा भी रखते हैं ..

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