एक स्त्री की कलम से •••••
दहेज , असमानता, कन्या -भ्रूण हत्या और असुरक्षा , इनकी गुलामी अब भी मेरे हिस्से लिखी रह गई है ।।-
गुरू घासीदास सा ज्ञानी हू मै,
पंड़ित रविशंकर सा राजनीतिज्ञ हू मै,
ठाकुर प्यारेलाल सा बलवान हू मै
अविचल ,अड़िग, पराक्रमी छत्तीसगढ हू मै।।
चित्रकूट सा विशाल हू मै,
दक्षिण कोसल सा इतिहास हू मै,
गौरलाटा सा सर्वोच्च शिखर हू मै,
पहाड़ी मैना सा मधुर हू मै,
धान का कटोरा हू मै ,
अविचल ,अड़िग,पराक्रमी छत्तीसगढ हू मै ।।
महानदी सा समृद्धि का स्रोत हू मै,
कोरिया के"अमृतधारा" और "चिरमिरी" सा खूबसूरत हू मै,
कोयले ,इस्पात का बहूतायत हू मै ,
अविचल ,अड़िग ,परिक्रमी छत्तीसगढ हू मै ।।
बस्तर के ढोकरा कला सा रचनात्मक हू मै ,
शिवरीनारायण मे श्री राम और सबरी के बेर की कथा हू मै ,
कोसा सिल्क सा चोखा हू मै,
पंड़वानी सा मधुर हू मै,
पंथी ,सुआ नृत्य और राऊत नाचा सा स्वाभिमानी हू मै ,
अविचल ,अड़िग ,पराक्रमी छत्तीसगढ हू मै ।।
मध्य भारत का हृदय स्थल हू मै ,
रायपुर सा गौरव हू मै,
भिलाई सा प्यारा हू मै,
छत्तीसगढिया सबले बढिया हू मै ,
अविचल,अड़िग,पराक्रमी छत्तीसगढ हू मै।।
भोरमदेव सा मजबूत हू मै ,
कला का केन्द्र खैरागढ हू मै ,
फरा,चिला सा नमकीन ,तिल गुड़ सा मिठा हू मै ,
पंड़ित सुंदरलाल शर्मा सा कवि हू मै,
करोड़ो दिलो का एक पिरवार हू मै , अविचल,अड़िग,पराक्रमी छत्तीसगढ हू मै।।-
Stop "underrating "your own social profile & "overestimating" others' profile .
-
Ragging (n)
A technique in which the "Seniors" enlighten the "Juniors" so, that they can easily handle the unforeseen situations in an adequate manner.-
1994 की वो शाम जब तु इस दुनिया मे आई थी ,
मानो जैसे पूरे घर मे खुशियॉ छाई थी ।
उस रोज़ मै दफतर से जल्दी घर आया था ,
क्योकि तु मुझे देख पहली बार मुस्कुराई थी ।
और आज नातियो के छुट्टियो इंतज़ार मे पूरे दिन है कटते ,
हर दिन बस मेरी लाड़ो की याद मे है बितते ••••
न जाने कब मेरी ये लाड़ली सयानी हो गई ?
याद है मुझे वो दिन , जब कैसे बचपन मे घर के ऑगन मे लगे उस आम के पेड़ से गिरी थी तुम ,
उस ज़रा सी चोट पर कितना रोई थी तुम ,
कैसे पूरी रात नही सोई थी तुम,
और आज इतने बडे एक्सीड़ेंट की सर्जरी के बाद के बाद भी तुम मुस्कुरा रही हो ,और मुझे तकलीफ न हो इसलिए मुझे पता ही नही चला , कब अपनी सुंदर मुस्कान के पिछे दर्द छुपाना सीख गई ,
न जाने कब मेरी ये लाड़ली सयानी हो गई ?
बचपन मे मै खुद उसे रसोई मे जाने से रोकता था ,
पर एक दिन न जाने कैसे ये दिल फरमाईश जो लाया था, कहॉ मैने उसे एक बार फिर ,
"लाड़ो पूरी दूनिया घूम आया पर तेरी जैसी चाय आजतक कोई न बना पाया।।"
न जाने कब मेरी ये लाड़ली सयानी हो गई ?
वो मेरी तितली सी फूदकती दिन भर इधर-उधर ,
वो मेरी नन्ही चिड़िया सी चहकती दिन भर इधर-उधर ,
पर आज सब थम सा गया है ,
मेरी नन्ही चिड़िया का चहकना बंद सा हो गया है
न जाने कब मेरी ये लाड़ली सयानी हो गई?
बिदाई के समय कहा था उसे "अपना खयाल पहले रखना "पर पता ही नही चला कब घर भर की फिकर पहले और अपनी चिंता आखिरी हो गई ।।
-
ग्रहण तो पूर्णिमा के चॉद पर ही लगता है ,
तो फिर ज़रा सी नाकामयाबी से निराशा किस बात की ?-
Choose your path wisely
because you are the only one who knows the best version of yourself .-
न अवाह देख ,न परवाह कर
एक ही है ज़िंदगी, बिना किसी की परवाह
करे जी ले अपनी ज़िंदगी ।।-