क्या कभी सोचा है कि ,
बिछड़ने के दिन दो प्रेमी में क्या बातें होती होंगी ?
शायद एक पछतावा कि हम उस समाज में नही कि जो अपनाए हमें ?
शायद एक लाचारी कि हम लड़ नही सकते परिस्थितियों से ?
या फिर बहस कि किसी एक का डर एक रिश्ते को खत्म कर रहा ??
या हो सकता है लड़की रो रही हो कि वो अपने में घुट घुट के कैसे जियेगी ??
या हो सकता है ये भी कि, लड़का मज़बूर हो क्योंकि वो घर का बड़ा है और उसपर जिम्मेदारीयों का और आदर्शों पर चलने का ठप्पा लगा दिया गया हो ?
पर इन सब में ये इतना तय है कि विरह के उस समय को महसूस कर पाना अपनी सभी भावनाओं, इच्छाओं, कोशिशों और हिम्मत को एक साथ मार देने जैसा है,कि उसके बाद बचता है तो केवल कोशिकाओं और हड्डियों से बना एक शरीर जिसमें बचता है केवल दुःख,पछ्तावा, उदासी और जिंदगी भर के लिए दिल में एक अकेलापन । ~ आकांक्षा
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