दिल ये यूँही बार बार,
क्यों सोचे है तू।
वो जो गया प्यारा,
क्यों छोड़ गया है यूँ ।
काश तू रुक जाता,
अधूरी बात पूरी करता।
काश मैं रोक पाता,
यूँ अकेले ना पड़ता ।
ऊपर वाले ने माना नहीं,
तुझे अभी जाना ना था।
स्तब्ध यहीं ठहरा है,
तुझे अलविदा कहना न था ।
सोचता है हर दुःख में,
किसी के पहले मैं जाऊँ।
किसी को विदा ना करूँ,
कष्ट ये भयावह सह ना पाऊँ।
तेरे पीछे जो रह गए,
उनपर क्या बीतेगी।
तुम जिनके तारे थे,
उनके भी दिल टूटेंगे।
फ़िक्र कर खुद की,
खुद से ग़र प्यार नहीं।
ख़ैर रख उनकी,
जिनका तेरे बिना कोई और नहीं।
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