AK Sankhwar  
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Joined 24 August 2022


Joined 24 August 2022
28 OCT 2022 AT 21:25

मेरे बस में जितनी मोहब्बत थी मैंने तुम्हे दी,
तुम्हे पाने की हर मुमकिन कोशिश की ,
फिर भी मैं हार गया।

अब क्यों करती हो मुझे कॉल, ये समझ नही आता।
रहने दो मुझे तुम्हारे साथ बिताए उन लम्हों के साथ।
मत करो अब मुझे याद, जीने दो मुझे मेरी हार के साथ।

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8 SEP 2022 AT 15:02

देखा था कल एक ख्वाब में तुम्हे,
सोचा न था आज मुलाकात होगी।


धीरे धीरे बड़े थे कदम तुम्हारी तरफ
बोहोत कुछ कहना था था पर के न सका।


देखा था एक ख्वाब में तुम्हे,
सोचा न था.....................

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1 SEP 2022 AT 22:06

तुमसा नहीं देखा..

देखे है ज़माने में लोग बोहोत, मगर
तुमसा कहीं नहीं देखा।

उस गलियारे में जब देखा तुमने मेरी तरफ
हुई थी हलचल दिल के किसी कोने में
वो लम्हा, वो आंखे ,
तुमसा नहीं देखा।

जबसे देखा है मैने तुम्हारी खुली निगाहों को
कान के पास लहराती हुई तरंगित लताओं को,
हुई थी ये गु फ् त गू खुदसे
देखे है ज़माने में लोग बोहोत, मगर
तुमसा नहीं देखा।।

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31 AUG 2022 AT 23:18

सुनो..
कुछ कहना है तुमसे..
इजाजत हो तुम्हारी, तो
इन निगाहों में खोना है मुझे।
एक अजीब सी हलचल होती है
जब होता हूं तुम्हारे नजदीक,
पास बैठ इन आंखों में डूबना है मुझे।
कुछ कहना है तुमसे..
इजाजत है तुम्हारी?





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25 AUG 2022 AT 22:34

Not you, someone else right.
No one else, someone else right.
The land is too long enough to meet lakh of beautiful.
Beloved, You are note alone in this era.

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24 AUG 2022 AT 17:22

दगा करना गुनाह है,इस बात से मुत्तफिक हम भी है और कभी अपना पक्ष नही बदला। मोहब्बत भी एक से की और खुदा भी एक ही को बनाया। सच बता रहे है कभी अपना लक्ष्य नहीं बदला,और एक चीज जो सीखी नही हमने मेहबूब से
आंसुओ से भीगी चादर तो बदली, मगर चादर की तरह बिस्तर पर से कभी शक्श नहीं बदला।

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