पहाड़ खूबसूरत हैं,
मगर कुछ पलों वो बेहत खूबसूरत हैं।-
उसकी निगाहों के कसीदे दोस्तों के बीच कब तक पढ़ता रहूंगा।
सरकार से गुज़ारिश है,
रुख़ से नकाब उतारने की इजाज़त दे उसे,
कब तक इन निगाहों से मोहब्बत करता रहूंगा।-
प्रिय ओहो रेडियो,
हमारी ज़िंदगी की इतनी सी कहानी है,
देश की राजधानी दिल्ली में रहते है,
हिल की धड़कन सुनते है।
तुम्हारा रेडियो लिस्नर्स
😇😇😇-
उनसे मोहब्बत का इज़हार नहीं करते,
तो इंकार भी नहीं करते,
देख उन्हें हमारी जिंदगी,इसी कश्मकश मे फंसी रहती है।
जैसे उनके दो भौंह के बीच माथे पर बिंदी फंसी रहती है।
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इन दिनों मेज़ पर पड़े कागज़,
हमारा हाल बया करते है।
खाली चाय के प्याले,
हमारा दर्द बया करते है।
बीते कुछ दिनों से दफ़्तर घर
और घर दफ़्तर बन गया है।
ये मार्च का महीना है साहब,
कौन जाने अभी ओर कितना रोना है।-
हर शख़्स के लहू का रंग लाल है।
इंसान इंसान के काम आ सके,
शायद इसलिए हर लहू की खूबियां अलग है।— % &-
नाराज़गी बहुत है जमाने को हम से,
मगर हम भी मुस्करा कर सवालों के
जवाब टाले जा रहे है।
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साक्षी है ये जलियावाल बाग भी,
बैसाखी के दिन कुछ फसलों को इसलिए बोया गया।
ताकि भविष्य में उन्हें रस्सी के झूले में लटका सके।-
नज़र लग गई मेरे इन पहाड़ों को
उन मुसाफिरों की
जो कैमरों में क़ैद कर इनको
शहर जा कर इनकी नुमाइश करते है।
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