अजय बिश्नोई   (✍️ अजय बिश्नोई "मतलबी")
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Joined 20 February 2019


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आज भी आ रही हो ✍️अजय बिश्नोई "मतलबी"
मैने गलती की है बार बार मुझे बता रही हो
बस प्यार जैसे अकेले तुमने ही किया दुःख इतना जता रही हो
भूल जाऊं तुमको जल्दी जल्दी इसलिए मुझे ज्यादा सता रही हो
ख़्वाब में तुम आज भी आ रही हो ✍️अजय बिश्नोई "मतलबी"
मैं कैसे धोखा कर रहा था रील भेजकर मुझे दिखा रही हो
अतीत के वो पल जो कभी भूल ना पाते वो तुम भुला रही हो
माफ़ तुम कर नहीं रही और माफ़ी भी बार बार मंगवा रही हो
मुझे दफन करने के लिए कितनी गहरी कब्र खुदवा रही हो
ख़्वाब में तुम आज भी आ रही हो

✍️अजय बिश्नोई "मतलबी"

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बताऊं मैं की क्यों होना पड़ा मुझे मतलबी
सब अपनी जरूरत के अनुसार आए और छोड़ते गए
ज़रा सा ना परखा मुझे और बेवजह तोड़ते गए ✍️अजय बिश्नोई "मतलबी"
थोड़ा सा वक्त दिया नहीं मुझे दलदल की तरफ मोड़ते गए
कुछ हसीनाएं आई बोली तुम पहले हो जिससे ये बात की है
मैं भी पागल था सोचा प्यार तो करती ही है इसलिए काली रात की है
मुझे नहीं पता था उनका रोज का था बेशक मैने आज शुरुआत की है
यहां वो तो खेल सा कुछ खेल रहे थे मुझे पड़ी जज्बात की है
आंसुओ के दिखावे दिखाए और हंसी मेरी मसल दी ✍️अजय बिश्नोई "मतलबी"
मैं सपनों के घर बना रहा था वो किसी और संग चल दी
दोस्ती के जनाजे आंखों के सामने से यूं गुजरे की मैं हो गया तलबी
बस इन सब में होते होते हो गया मैं मतलबी

✍️अजय बिश्नोई "मतलबी"

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कहे अजय,
ए तानाशाह रोक अपनी तानशाही
और अपना रवैया बदल लो
कहे अजय बिश्नोई 'मतलबी',
फ़िर भी ना माने ये हिटलर
तो छोड़ पार्टी का रोना इसके विरोध में चल दो
कहे अजय,
जो ठेस पहुंचाएगा समाज के भावों को
उसे किसी मर्दा के भाँति पैरों से कुचल दो
कहे अजय,
भूल जो इबके हुई हम मर्ग को बचा ना पाए
तो अपने विचारों को कहीं मचल दो
कहे अजय,
बस एक बात हमारी मान लो हिटलर जी
हम नही कहते कि हमारी आस्था में दख़ल दो

#Save Animals_Save Deer

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मैं नज़्म वो मेरी साँस है
बात बात में टोकते रहते है
पर उनकी बातों में अपनेपन का अहसास है
"अजय" की खुशियों में बेशक़ राब्ता ना करे
पर मेरे दुःख में होते हमेशा मेरे पास है
दिल के तो बेहद क़रीब है
लेकिन थोड़े बहुत विरोधाभास है
बात तो रोज़ नही हो पाती
पर मेरे दोस्त मेरे लिए ख़ास है

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धुंध तेरी यादों की,
जिसमें खोए खोए हम
तुझे क्या पता सनम,
तेरे जाने के बाद कितने रोये हम
आग जज़्बातों के लगी,
अब इसको अश्कों से धोएं हम
तूने पीछे मुड़कर देखा नही,
उसके बाद चैन से नही सोये हम
"अजय" ठहरा बस "मतलबी"
इसीलिए तेरा हर पल रखे है सँजोये हम

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14 DEC 2021 AT 19:05

जो जा चुका है वो तेरा था ही नही
भला अब बार बार रोने से क्या होगा
अब रो रोकर सुख चुके है आँसू
अब आँखों को पानी में भिगोने से क्या होगा
ए महबूब तूँ अंदर से तोड़ कर गया है
अब झूठे मन से तेरा होने से क्या होगा
जिन ज़ख्मो की इल्म ही नही "अजय" को
उन जगहों को दवाई से धोने से क्या होगा

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जिंदगी गहरा समंदर है
ख़ुद को मझधार में उतारते रहिये
जाने कब क्या हो जाना है
बस दिन ब दिन ख़ुद को निखारते रहिये
नशा ख़ामोशी का बेहद हो जाएगा
अपना दरिंदगी वाला नशा उतारते रहिये
जाने कब मन्द पड़ जाए लो
बस इसीलिए चिंगारी को पुकारते रहो
"अजय" तुम चुनिंदा में नही हो अब तक
आओगे कभी इसी उम्मीद में ख़ुद को पुचकारते रहो

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"अजय" सच में नही है स्क्रीनशॉट भेज देता हूँ
यार पहले बताना था अब तो कहीं और भेज दिए
पड़े तो है पर कुछ मुझे भी एडजस्ट करने है
बस सबका अपना और अलग बहाना है
और अपने ख़्याली पुलाव बंनाने छोड़ दूं
इन सब से मैं भी कुछ सीखूँ
कि चाहे किसी के लिए तूँ जो भी है
पर तुझे अपना बेकअप ख़ुद ही बनाना है
स्क्रीनशॉट सबने पहले से कर रखे तैयार है
अब अपने अंदर झांकूँ की मेरा कैसा व्यवहार है
तूँ बस एक कठपुतली बनकर रहेगा "अजय"
तो सबने तुझे ऐसे ही इशारो पर नचाना है

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25 NOV 2021 AT 19:23

इतनी जल्दी हार मान जाऊँ जिंदगी मुझसे इतनी भी नही खेली
लाख खुदगर्ज़ होऊँगा पर नवाबजादों की अकड़ कभी नही झेली
मौक़े पर जो करना है वो किया है बाद में मली नही हथेली
ख़ुश है "अजय" अपने कच्चे मकां में तुम्हे मुबारक़ हो तुम्हारी हवेली

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30 SEP 2021 AT 23:04

सितम्बर कुछ इस तरह गुजरा, हजारों बार जिया तो लाख बार मरा
मुश्किलें थकाना चाहती थी मुझे,पर मैं इससे भी निठल्ला एक पल ना ठहरा
मतलबी को आज़माया बहुतों ने, मैं हर बार उनकी निग़ाह में निकला ख़रा
दबिशें तमाम चली मुझे तोड़ने की,पर मैं टूटकर कभी भी ना बिखरा
माना कि आवाज़ करती है शहर में चाँदी,पर सोना तो हमेशा से ही है ख़रा
मैं सो जाता हूँ आज भी चैन से, मेरे दुश्मन ही लगाते है मेरे लिए पहरा
आज मरहम लगाने वाला कोई नही,शायद इसीलिए लग रहा है ज़ख्म गहरा

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