अज्ञात वासी   (अज्ञातवासी)
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मैं एक अज्ञात
जो अज्ञातवास से
एक अज्ञातवासी बनके आया हूँ !
Joined 30 July 2022


मैं एक अज्ञात
जो अज्ञातवास से
एक अज्ञातवासी बनके आया हूँ !
Joined 30 July 2022

पुण्यं पापहरं सदा शिवकरं विज्ञानभक्तिप्रदं
मायामोहमलापहं सुविमलं प्रेमाम्बुपूरं शुभम् ।
श्रीमद्रामचरित्रमानसमिदं भक्त्यावगाहन्ति ये
ते संसारपतङ्गघोरकिरणैर्दह्यन्ति नो मानवाः ।।

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जब लोकतंत्र , एकतंत्र बन जाए
जब ग़रीबी , परिहास बन जाए
जब विरोध , अवरोध बन जाए
जब बेकारी , आवारगी बन जाए
जब मुद्दे , सुखद गद्दे बन जाए
जब योजनाएं , अहंकार बन जाए
जब आपदा , अवसर बन जाए
जब महँगाई , जमाई बन जाए
जब विकास , अवकाश बन जाए
जब अच्छा , अक्षम्य बन जाए
जब प्रशासन , परेशान बन जाए
जब दफ्तरशाही , नफ़रतशाही बन जाए
जब हम सबने , मैं बन जाए
जब प्रजातंत्र , शाहतंत्र बन जाए

यहाँ शाहतंत्र 👆 मतलब राजा है, ग़लत मत समझ लेना 👍
तब यह समझना कि लोकतंत्र अपने सत्य के मुहाने पे खड़ा है ।

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बच्चों का भविष्य ही नई संभावनाओं की अलख है !

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सत्ता और समाज़ का समन्वय ही वास्तविक लोकतंत्र कहलाता है !

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सामर्थ्यता मनुष्य की मूल्यवान सम्पत्ति नहीं है !

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हमारे लिए हमदर्द है !

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जीत भी , साहस भी , बलिदान भी , सुगंध भी है ।
यही तो केसरिया की पहचान भी है ।।

पारदर्शिता भी , सौम्यता भी , शांति भी , बहुरंगीय भी है ।
यही तो सफ़ेद की पहचान भी है ।।

संजीवनी भी , हरीतिमा भी , प्रफुल्लता भी , प्रगति भी है ।
यही तो हरे की पहचान भी है ।।

प्रतिनिधित्व भी , पौरुष भी , ब्रह्मांड भी , सकारात्मकता भी है ।
यही तो नीले की पहचान भी है ।।

काल चक्र भी , सर्वांगीण विकास भी , बहुमुखी भी , निरंतरता भी है ।
यही तो अशोक चक्र की पहचान भी है ।।

अरे ! यही तो अपना तिरंगा 🇮🇳 महान है !

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जैसे मानव जाति में एक निश्चित अंतराल पे बदलाव आते हैं वैसे ही समय में भी बदलाव होता है , परंतु समय का अतंराल निर्धारित नहीं होता !

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" साहित्य , समाज़ और सत्य "

मैं और मेरी कलम की एक छोटी-सी पहचान !

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- कलम के सिपाहियों से मेरा एक निवेदन है कि -

कलम को कलंकित होने से बचाये ,
और कलंकित करें भी ना !
अगर कलंकित हो गयी जो कलम ,
तो धुलेगा नहीं पाप गंगा जाने मा !!

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