' अज्ञात '   (अज्ञात)
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Joined 13 June 2018


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Joined 13 June 2018
17 OCT 2022 AT 2:45


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16 OCT 2022 AT 21:39

यूं लम्हों के लिए लम्हे बर्बाद मत कर मुर्शद,
जब ये लम्हे वापस नही मिलते तो बहुत तकलीफ होती है

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12 OCT 2022 AT 10:06

ख्वाबो को सजा कर ज़र्फ़ में रखे थे सारे
मुसलसल भारी भी होते जा रहें दिल हमारे ।
इतनी सी तो इनायत कर मोहसिन ,
पड़े पड़े इंतजार में तेरे ये खत भी
बेकार होते जा रहें सारे ।

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12 OCT 2022 AT 6:03

तुम्हारे चश्म-ए-हैरा में तुम्हे परेशान देखा है
मेरे हमनशीं होकर तुम्हे मेरे लिए परेशान देखा है
माना की वक्त बड़ा जालिम है
मगर मेरे दिल ने भी
इन आंखो के अब्र को तेरे इंतजार में देखा है

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12 OCT 2022 AT 5:40

ख़्यालों में उल्फ़त तेरे भी अबाद होंगे
छुपायें है जो मुझसे
हमे मालूम है सब
तेरी तरह परिजाद़ होगें ।

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9 OCT 2022 AT 12:02

ये शहर छोड़ने से पहले एक काम करने दे ,
चुपके से ही सही मगर दीदार करने दे ।

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8 OCT 2022 AT 19:47

अगर इंतजार करना ही प्रेम है
तो मैं त उम्र तेरा इंतजार करूंगा।
तुझ से शिकायत भी नही करूंगा न खफा रहूंगा
इसलिए ताकि अंत में मेरे मन पे कोई बोझ न हो
चाहे उम्र भर मुझे अकेला ही क्यों न रहना पड़े ।

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8 OCT 2022 AT 19:05

क्या सौन्दर्य सिर्फ स्त्रियों के पास ही होता है ,पुरूषों के पास नही ?
यकिन मानिए पुरुषों का भी एक सौन्दर्य होता है, जिसे सबसे ज़्यादा नकारा गया है ।

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8 OCT 2022 AT 12:26

प्रेम में ठुकराए हुए लड़के जानते है,

एक लड़के से पुरुष होने तक का सफर कितना जटिल रहता है।
कितना कठिन रहता होगा उस लड़के का एकांतवास ।

जिसने खुद को सीमित करके पुनः तराशा होगा खुद
को और उसका संघर्ष एक नया इतिहास रच रहा होगा।

पुरुषो का अपना सौन्दर्य होता है और यकीन मानिए
सबसे कम उसी पे लिखा गया है अब तक।

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4 OCT 2022 AT 23:34

मैं खुशबू शा बन कर मन में समा जाऊं
तु गंगा सी बन कर मेरे मन में समा जाना ।

यूं कुछ ना कहना बस मन में ही रहना ,
तु बहती हवा सा यूं मुझको बहा ले जाना।

मैं गर्मी का मौसम तु बारिश का पानी ,
आंसु को मेरें युं बरस के छुपाना ।

मैं खुशबू शा बन कर मन में समा जाऊं
तु गंगा सी बन कर मेरे मन में समा जाना ।

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