Ajit Jain   (Aj¡t jain)
196 Followers · 306 Following

read more
Joined 29 November 2018


read more
Joined 29 November 2018
10 OCT 2024 AT 15:22

दो चार जमीन के टुकड़े खरीदकर,
वो खुदको जमींदार कहते हैं
कुछ दिल के अमीर करोड़ों बांटकर,
खुद को फकीर कहते थे।।

-


24 SEP 2024 AT 15:02

मैंने सुख से ज्यादा दुःख पर लिखा है,
खुशी से ज्यादा उदासी पर लिखा है।

मैंने दुःख, उदासी को
जीवन का बराबर का हिस्सा माना है;
वास्तव में, उनको ज्यादा जरूरी माना है।

मैंने कभी नहीं रोका किसी को
उदास होने से; हमेशा कहा कि
बुखार की तरह बाहर आ जाने दो।
पर सच कहूं, तुम पर ये दुःख, उदासी...
बिल्कुल नहीं जंचते।

-


24 SEP 2024 AT 13:25

तेज बुखार को हल्की सी गर्मी बताना सीख लिया है,

अपने ही घर मे अजनबी सा मुस्कुराना सीख लिया है।

यूँ तो होती हैं बातें, हर मिलने वाले इंसान से पर अब..

कुछ बातों को जुबान पर ना लाना सीख लिया है।

-


23 SEP 2024 AT 1:23

वो घर वाले अमीर नहीं, जहाँ नोटों की बंद पेटी है,
वो घर अमीरों का है, जहाँ मुस्कराते दिखती बेटी हैं।

-


13 OCT 2023 AT 10:31

मैं हूँ बेरोजगार सा एक लड़का
तू Vyapam की खुली झोल वाली सीट प्रिये
मैं देखूँ ख्वाब तुझे पाने के
तू पहले से ही पैसे लेकर सेट प्रिये,,

-


15 NOV 2022 AT 1:39

कोशिश हम बहुत करते है,
ना जाने मुलाकात क्यू नही होती,

सोते तो हम रोज है,
आजकल पहले जैसी रात नही होती,

तुम मिलती तो रोज हो मुझसे,
हकीकत की तरह ख्वाबों में,

पर इतनी कोशिशों के बाद भी,
तुमसे पहले जैसी बात नहीं होती।

-


7 JUL 2020 AT 9:50

मुझे तुम पर उतना ही भरोसा
जितना ज्यादा पसन्द है मुझे समोसा

मेरे लिए तुम उतनी ही हो जरूरी
जितनी ज्यादा पसंद है मुझे पानी पूरी

मेरे लिए तुम उतने ही हो अजीज
जितना ज्यादा पसंद है मुझे पेटीज

मैं तेरे लिए उतना ही हूँ पागल
जितने ज्यादा खाने में पसंद है मुझे दाल चावल

तेरा-मेरा ऐसे ही भिड़ा रहे टांका
जैसे मुझे चटनी के साथ अच्छे लगते हैं परांठा😍

-


28 APR 2020 AT 12:37

जिस ने लिखा उस पर क्या लिखूं
उसने गढ़ा मुझको उस पर क्या गढूं
उसने धोखे से थमा दी मिरे को कलम
मैं तो अनपढ़ था, कहता था क्या पढूं?

-


27 FEB 2019 AT 1:18

दोस्ती के लिए आपस में बात जरूरी है
मोहब्बत के लिए, थोड़े जज्बात जरूरी हैं...

आराम के लिए, काफी नहीं हैं दिन
सुकून की नींद के लिए, रात जरूरी है...

कहने को तो अच्छा है, वसुदेव कुटुम्बकम् ,
पर हर रिश्ते के लिए, जात जरूरी है...

कामयाबी से जब आए गुरुर, जिंदगी में,
सबक सीखने के लिए, मात जरूरी है...

हर किसी को नहीं मिलता सलाम यहाँ "अजित"
खुद में भी जरा, करामात जरूरी है...

-


13 JAN 2019 AT 8:28

जीवन हमाओ माटी-कूरा हो गओ।
जितनो जो कछु पढो हतो
सब को सब धूरा हो गओ।।
आंगन में लगाओ तो हतो पेड़ जामुन को।
फरो सो एसो के
बमूरा हो गओ।।

-


Fetching Ajit Jain Quotes