Ajinkya Kadam   (Ajinkya)
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Carpe diem.
Joined 18 October 2017


Carpe diem.
Joined 18 October 2017
22 JUL AT 11:18


जेव्हा नदी सागरा भेटली
गोडवा तिचाही मग विरला
धरला हात तिचा त्या लाटांनी
किनारा दूर एकटा पडला

मग खोल डोहाच्या उरी
जन्म नवा तिलाही गहिवरला
मिटले सारे ते आदळते अश्म:
स्पर्श वाळूचा मग बहरला

झाला श्वास तिचा मोकळा
संपल्या सार्‍या अमाप्त त्रिज्या
धरून हात तिनेही दर्याचा
करुनिया परिघ पूर्ण दोघांचा.


अजिंक्य





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22 JUL AT 11:17


जेव्हा नदी सागरा भेटली
गोडवा तिचाही मग विरला
धरला हात तिचा त्या लाटांनी
किनारा दूर एकटा पडला

मग खोल डोहाच्या उरी
जन्म नवा तिलाही गहिवरला
मिटले सारे ते आदळते अश्म:
स्पर्श वाळूचा मग बहरला

झाला श्वास तिचा मोकळा
संपल्या सार्‍या अमाप्त त्रिज्या
धरून हात तिनेही दर्याचा
करुनिया परिघ पूर्ण दोघांचा.


अजिंक्य





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22 JUL AT 11:15


जेव्हा नदी सागरा भेटली
गोडवा तिचाही मग विरला
धरला हात तिचा त्या लाटांनी
किनारा दूर एकटा पडला

मग खोल डोहाच्या उरी
जन्म नवा तिलाही गहिवरला
मिटले सारे ते आदळते अश्म:
स्पर्श वाळूचा मग बहरला

झाला श्वास तिचा मोकळा
संपल्या सार्‍या अमाप्त त्रिज्या
धरून हात तिनेही दर्याचा
करुनिया परिघ पूर्ण दोघांचा.


अजिंक्य





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3 JUL AT 11:20

खिड़की

मेरे घर की दीवार में
एक खिड़की थी,
मुझे बाहर की दुनिया के सपने दिखाती,
आसमान की सैर कराती।
मैंने कुछ पंछी भी देखे,
पेड़ों पर विश्राम करते।
फिर मैंने भी अपनी खिड़की पर
उनके लिए एक पिंजरा रखा,
बिना जाली और दरवाज़े का।
शायद कोई आए मेरे पास,
इसी उम्मीद से हर सावन देखा।
खिड़की पर देखा जब तंतुजाल,
उसे भी मैं तोड़ न सका।
पिंजरा शायद मैं ही था,
और मैं ही उसमें पंछी था।

अजिंक्य







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2 MAY AT 14:26



पानी किस धर्म का?
और नदियों की क्या है जात?
पेड़ों की भाषा कौन सी है?
पंछियों के कौन हैं उस्ताद?

मछलियों का देश क्या समंदर है,
या हैं सरहदें वहाँ भी?
अगर तैर जाए कोई गलती से उस पार,
क्या होती है जंग वहाँ भी?

क्या जंगल में है लोकतंत्र,
या है तानाशाही बाघ की?
जब होते हिरणों पर बलात्कार,
क्या माँगता शेर से इस्तीफ़ा कोई?

- अजिंक्य





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2 JAN AT 10:39


युद्ध संपले
जग जिंकले
सृष्टी घडली
कालचक्र फिरून
पुन्हा इतिहासाकडे वळले
मोक्ष, त्याग आणि कर्माचे
सारे पुरस्कर्ते संपले
मागे राहिल्या
त्यांच्या अजिंक्य गाथा
त्यात श्वास शोधत
इतिहासात गुदमरून
मृत पावल्या असंख्य
यशोधरा अन् राधा
मग लाखो जन्मले जरी
कृष्ण आणि बुद्धही
होतील का त्या जिवंत आता?

-अजिंक्य



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10 OCT 2024 AT 15:55


बुद्ध का होना ही
सिद्धार्थ खोना है
अनगिनत ब्रह्मांड में जैसे
शून्य होना है।

मौन को गले लगाए
फिर ज्ञान को बोना है
और वृक्ष बनकर किसी के लिए
छाँव होना है।

त्याग से नाता जोड़
हर बंधन को खोना है
सागर को मिलती नदी के जैसे
हर मिठास को अपनी खोना है।

बुद्ध का होना शायद
खुद से ही एक द्वंद्व है
हर बार हारकर भी खुद से।
हर क्षण में आनंद है।

-अजिंक्य

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15 SEP 2024 AT 21:30

अगर मिल जाए मौत सामने,
तो कर लूंगा विदा हसकर ये जहा।
फिर मिल जाएगी जब माँ उस पार,
तो जी लूंगा शायद सदिया वहाँ।

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22 JUL 2024 AT 13:57


हर बेज़ुबान की आंखे बस
अब यातना ही जानती हैं।
इंसान से इंसानियत की
थोड़ी सी याचना मांगती हैं।

बंद आंखे लिए
कब तक छिपाओगे नजरे उनसे।
कानो में रुई डाले चाहे कितना भी बैठो,
ढूंढ लेगी एक दिन वो सारी चीखे तुम्हे।

अगर फिर भी न आये शर्म खुद पे,
तो बस अपनी एक ऊँगली काट के देखना।
और न हो पाए उतना भी तुमसे,
तो गिरबान में अपनी एक बार झांक के देखना।

-अजिंक्य
















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13 MAY 2024 AT 21:45

I am glad that
I don't have tail like dog.
Otherwise,
It wouldn't be in my control.
If she shows up on my path.

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