हर रोज उसका दीदार तय नहीं,लफ्जों से उसे छू लिया करता हूँ।खामोश लबों से यूँ निभाता हूँ रिश्ता, पन्नों पर शोर मचा लिया करता हूँ।...🍁🍁 -
हर रोज उसका दीदार तय नहीं,लफ्जों से उसे छू लिया करता हूँ।खामोश लबों से यूँ निभाता हूँ रिश्ता, पन्नों पर शोर मचा लिया करता हूँ।...🍁🍁
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