लोग करते होंगे किसी न किसी नाम सें मुहब्बत समीर,
हम ही अजीब है जो बस अनामिका से वफा़ कर बैठे।-
✒समीर✒
"जिने दो मुजे ई... read more
मुझ को तुझ से मुहब्बत नहीं फिर भी तुझ सें बिछडने का ग़म सा है,
वैसे तुझे मै भुल सा गया हूँ फिर भी तुझे पाने कि आस सी है।-
न जाने कितनी वफा़-ओ-उल्फ़त है "समीर" को तुझ से,
कि "एजाज" तेरे न चाहने पर भी दिल उस का सौदाई है।
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अब तो बस यही है हसरत इस दिल-ए-नादान कि,
इक इक कर दिल कि सारी हसरतें बेवफा़ हो जाये।
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जिंदगी ने चलो इक बात पे तो वफा़ कि है मुझ से,
मुसलसल चाहा जिसे तक़्सीम उसे किया है मुझ से।-
कर के बेवफाई हम सें रखता है वोह वफा कि उम्मीद,
ए खुदा! कयों ना इसी बात पर आज न्योछावर हो जाये।-
आज भी ऊस बेवफा़ से बस ईतना ताअल्लुक है समीर,
उसकी ऐक बेचैनी हमें रात भर सोने नहीं देती।
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दौर-ए-मुहब्बत भी देखो कितना अजीब है समीर,
बित जाने के बावजूद भी ठहरा मानो मुझी मे है।-
वोह कल भी थे हवा कि तरह जो बस उड गयें,
मैं आज भी हु उस याद कि तरह जो कायम है।-
समीर ये जो इश्क़ है इस में कुछ रिश्ते ऐसे भी होते है,
जो बिना कुछ कहे, बिन फेरो़ के एक दूसरे के होते है।-