AJAYVIR SINGH VERMA   (क़फ़स)
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Joined 10 October 2021


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Joined 10 October 2021

कल रात का वादा था मुझ से
रूह को जुदा कर देगी तन से

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वो शजर वहीं है और वो बेंच वहीं है
कुछ नहीं बदला बस तुम हम नहीं है

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मेरा ख़्याल कुछ नहीं तेरी यादों के बिना
मेरी दुनिया कुछ नहीं मोहब्बतों के बिना

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बहुत चोट खाई है फूलों से हमेशा मैंने
काँटों के साथ अक्सर निबाह करा मैंने

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बे-इन्तहा बे-इख्तियार बे-सबब बे-हद होती है
'क़फ़स' सुना है कभी मोहब्बत महदूद होती है

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कभी सोचा ना था के
कुछ ऐसा हो जायेगा
उसको भूलना पड़ेगा
भूल मुझे वो जाएगा

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कुछ तो मजबूरी रही होंगी
कुछ तो रुकावट रही होंगी

कोई यूँ ही बर्बाद नहीं करता
कुछ हम में कमी रही होंगी

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यादों को समेट कर तरतीब से सजाया है
कुछ ऐसे मैंने यादों का घरौंदा सजाया है

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10 HOURS AGO

बाद मुद्दत के यह शाम आई है
आज टूट कर तेरी याद आई है
काश यूँ ही रात भी गुज़र जाए
मेरे ज़हन में बस तू ही छाई है

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14 HOURS AGO

मेरी बाहों में आ जा या अपनी बाहों में ले ले
ए मोहब्बत हम दोनों अपनी पनाहों में ले ले

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