धैर्य जिसका पिता है, क्षमा जिसकी माता है, लम्बे काल तक साथ देने वाली शान्ति जिसकी स्त्री है, सत्य जिसका मित्र है, दया जिसकी बहिन है, मन का संयम जिसका भाई है, भूमि ही जिसकी शय्या है, दिशाएं ही जिसके वस्त्र हैं और ज्ञान रूपी अमृत का पान करना ही जिसका भोजन है, हे मित्र ! जिस योगी के ऐसे कुटुम्बीजन हैं, उसे संसार में किससे भय होगा ? अर्थात् किसी से भी भय नहीं होगा।
-