Ajay Yadav   (✍🏻अजय यादव🙂)
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Joined 14 October 2019


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Joined 14 October 2019
10 APR AT 19:32

उसके आने से दिल को सुकून जो मिलता है।
जैसे बरसों से तरसती निगाहें तलाश में थी उसके।

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19 OCT 2023 AT 18:53

चमक सितारों में होती तो चांद फीका पड़ जाता।
तो अपने सितारों को इतना चमकाओ कि चांद भी उसमें धूमिल हो जाये।

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14 AUG 2023 AT 22:34

बरसों बाद फिर वहीं ख्याल दिल में उतर आया।
आँखों के सामने फिर वही खूबसूरत चेहरा और शहर आया।
सोच रहे थे कि रोककर उन्हें करे शिकवा हम उनसे,
मगर सपना टूटा आँखे खुली तो दिल फिर से बिखरा नजर आया।

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8 JAN 2023 AT 21:50

Suno na kuch din ruk jao na

Tumhare liye dp kya mai poster lagwaunga
Tum kahoge to khud akhbaar me dekar aaunga

Suno na kuch din ruk jao na

Tumhari saree ke pallu me chhupkar me tumko hi daraunga
Tumhari chummi lekar me tumhare gaal geele kar jaunga

Suno na kuch din ruk jao na

Tumhe baho me bharke apne seene pe rakhkar poori raat sulaunga
Subah ki chay ke sath tumhe choomte hue nind se jagaunga

Suno na bas kuch din ruk jao na

Read caption for full Poetry

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8 JAN 2023 AT 21:42

क्या हो तुम?
सुबह की पहली धूप हो🌞
बादल-सा स्वरूप हो☁️
माँ का दूसरा रूप हो तुम।🤱🏻

डूबते सूर्य की भीनी शाम हो🌄
कामदेव में बसी काम हो😘
थकावट में मिले वो आराम हो तुम।💆🏻

जिन्दगी का खूबसूरत ख्वाब हो🛌
नशा न उतरे वो शराब हो🍷
और फूलों में भी गुलाब हो तुम।🌹

दिल में बसी जान हो❤️
शरारत की दुकान हो💃🏻
मेरे होठों की मुस्कान हो तुम।😄

पूरी कविता पढ़ने के लिए कृपया caption देखें। 🤞🏻🙏🏻

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8 JAN 2023 AT 19:58

तुम चाय की ठंडी प्याली प्रिये और भाप-सा गरम हूँ मैं।
तुम बातों से बहुत कड़क हो और दिल का नरम हूँ मैं।

तुम अनसुलझी कोई पहेली और एक कहानी सरल हूँ मैं।
तुम एक खूबसूरत ख्वाब प्रिये और व्यक्तित्व असल हूँ मैं।

तुम गुलाब के खुशबू जैसी और बरसात में मिट्टी की महक हूँ मैं।
तुम दूर पड़ी कोई मंजिल हो और कोई टूटी-फूटी सड़क हूँ मैं।

कि तुम आशिक चाऊमिन, मोमोस के हो और मैं सादा खाने वाला हूँ।
तुम्हें पसंद है कॉफी प्रिये और मैं चाय का दीवाना हूँ।

तुम खिला हुआ एक सूर्यमुखी हो और मुरझाता हुआ एक गुलाब हूँ मैं।
तुम्हें चाहिए कोई चालाक तुम-सा और पागलों का नवाब हूँ मैं।

यूँ ही हो जाये सबसे ग़ालिब ये प्यार नहीं कोई खेल प्रिये।
तुम आस लगाकर बैठें तो हो पर मुश्किल है अपना मेल प्रिये!

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19 DEC 2022 AT 23:41

आज उसकी तस्वीर देखते हुए फिर से वो मंजर नजर आया।
उस प्यार भरी तकरार के पीछे का खंजर भी नजर आया।
सोचा था कि शायद कुछ तो हरियाली होगी मेरे भी बगीचे में,
मगर देखा तो आज भी दिल मेरा बंजर ही नजर आया।

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3 OCT 2022 AT 17:30

कुछ रास्तों को रास्ते में छोड़कर अपने रास्ते चल दिये हम।
शायद वो रास्ते कुछ अड़चन थे हमारे रास्तों में।🤫

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14 SEP 2022 AT 10:27

हिन्द देश के वासी है हम हिन्दी है पहचान हमारी।
लेकिन फिर भी अंग्रेजी क्यों मिटा रही पहचान हमारी?

हिन्द देश के होकर के हम हिन्दी क्यों न ढंग से बोल सके?
हिन्दी-अंग्रेजी के इस युद्ध में क्यों हिन्दी को न ज्यादा तोल सके?

अंग्रेजी को हमने महत्व दिया फिर क्यों अपनी ही भाषा छोटी लगती?
सब सीख रहें हैं अंग्रेजी खुद की हिन्दी क्यों खोटी लगती?

अरे जब सब अपनी भाषा फैला रहें हैं तो तुम हिन्दी को क्यों गिराते हो?
हिन्दी अंग्रेजी से भी सहज है फिर क्यों नही तुम बोल पाते हो?

शुरू करो तुम खुद से हिन्दी देखो फिर क्या-क्या होता है?
हिन्दी भी फैलेगी विश्व पटल पर हमकों आभाष होता है।

हिन्द है हम हिन्द के वासी हिन्दी है पहचान हमारी।
अंग्रेजी, फ्रेंच चाहे तुम सीखो पर हिन्दी हो उन सब पर भारी।

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11 SEP 2022 AT 19:34

Sometimes, you'll have to taste the bitter things too.

Because only then you'll understand the value of sweet.🙂

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