तुम चाय की ठंडी प्याली प्रिये और भाप-सा गरम हूँ मैं।
तुम बातों से बहुत कड़क हो और दिल का नरम हूँ मैं।
तुम अनसुलझी कोई पहेली और एक कहानी सरल हूँ मैं।
तुम एक खूबसूरत ख्वाब प्रिये और व्यक्तित्व असल हूँ मैं।
तुम गुलाब के खुशबू जैसी और बरसात में मिट्टी की महक हूँ मैं।
तुम दूर पड़ी कोई मंजिल हो और कोई टूटी-फूटी सड़क हूँ मैं।
कि तुम आशिक चाऊमिन, मोमोस के हो और मैं सादा खाने वाला हूँ।
तुम्हें पसंद है कॉफी प्रिये और मैं चाय का दीवाना हूँ।
तुम खिला हुआ एक सूर्यमुखी हो और मुरझाता हुआ एक गुलाब हूँ मैं।
तुम्हें चाहिए कोई चालाक तुम-सा और पागलों का नवाब हूँ मैं।
यूँ ही हो जाये सबसे ग़ालिब ये प्यार नहीं कोई खेल प्रिये।
तुम आस लगाकर बैठें तो हो पर मुश्किल है अपना मेल प्रिये!
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