Ajay Tanwar   (Untold_Stories)
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MBBS . Share my thoughts as i veiw my life...
Joined 10 June 2019


MBBS . Share my thoughts as i veiw my life...
Joined 10 June 2019
3 JUL AT 14:45

कौन सही, ताउम्र रहेगा तो सवाल यही,
वो जो अपने अहम के वहम में हैं,
या जो वहम के फेर में गुम हैं,
या वो जो सवालों के इस जंजाल के पार खड़े हैं,
और प्रत्येक क्षण उस जाल के मध्य में पड़े हैं।

फंदा हैं एक सबकी अपनी अपनी सच्चाई का,
भूल गए हैं सब फर्ज था जो अपने धर्म की अगुवाई का,
कौन सुनेगा मौन तुम्हारा,
यहाँ सबका शोर अपनी रुसवाई का।

हाँ हाँ बेशक तुम लौट चलो,
यहाँ फैसला होता बस ,
अपनी अदालत बस अपनी जमानत का,
तुम चिखो चिल्लाओ या मौन रहो,
होता नहीं यूँ फैसला यहाँ किसी की सुनवाई का।

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24 APR AT 22:48

महाभारत के विनाश का उत्तरदायी कौन था?
दुर्योधन? या वो मौन सभा? या वो उपहास?
या ये सब निमित्त थे उस अंधी मानसिकता के दंड के?
जिसे सत से अधिक सत्ता से मोह था,
जहाँ प्रतिज्ञाओं में बंधा भिष्म भी मौन था,
और विनाश एक प्रलय‌ कि भांति आया था,
उसमें प्रत्येक जन ने निर्पेक्ष रुप से काल को पाया था।

कहा था माधव ने, मुझ सा सारथी कलियुग में चाहते हो,
तो फिर पार्थ सा बनना होगा,
निश्चित होगा युद्ध, तुम्हे लक्ष्य अपनो को करना होगा,
निश्चित होंगे प्रभु साथ, तुमको अग्नि सा तपना होगा।

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5 JAN AT 21:51

जिसे नसीब में लिखा है,
उसे कभी ख्वाब ने बुना ही नहीं,
कोस्ते रहे किस्मत को हम ठोकरें खाने के लिए,
अब जो मोड आया है,
उतना खूबसूरत तो कोई सफर था ही नहीं...

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18 DEC 2024 AT 18:53

ढूँढते ढूँढते अपने विशवास को,
हम यूँ खुद से ही विशवासघात कर बैठे,
हौसलों को जब जहन में जगह ना मिली,
हम फना होने, खयालों को भी दफन कर बैठे,
एक दरख़्त से झांक रही है महोब्बत,
तो एक हम ओर होशोहवास खो बैठे।

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21 NOV 2024 AT 13:38

क्या लिक्खा है प्रभु ने,
तुम्हें मेरे नसीब में ? ,
यूँ ही नहीं होते हसीन इत्तेफाक,
मेरी जिंदगी में।
ना जाने कैसे चल दिए,
सब खवाब तेरी ओर,
कोई समझाए कैसे अब खंडहरों को,
आए कैसे नई मंजिलों के नक्शे जिंदगी में।
खस्ताहाल दिल, फिर नये सपने बुन रहा है,
मानो परवाह किसे, हुए जो हादसे जिंदगी में।
क्यों तुमने तो कहा था,
महोब्बत, बस एक भ्रम है जिंदगी में,
फिर से चल दिए हो खुशी खुशी,
बेइंतहा बेपरवाह, मानो कुछ लौट आया,
जिसपे फिर सर्वस्व लुटा दो जिंदगी में।

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12 OCT 2024 AT 22:23

कभी-कभी कुछ यूँ होता है यारों कि
नींद और ख्वाबों की अन-बन हो जाती है,
रात करवतों में काटी जाती है,
यादों की सिलवटें उतारी जाती हैं,
उस रात बहुत बात करता है मन
जिस रात उन दोनों की अन-बन हो जाती है...

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4 OCT 2024 AT 22:32

जिन्हें अहं था अपने आप पर,
कि नहीं कोई ताकत जो जाए हमें झकझोर कर,
समय का चक्र फिर यूँ चला उन पर,
लेने लगी चुटकियां जिंदगी जरा खुल कर,
खूब ही दौड़े‌ वो हर चौखट पुछते आखिर बात क्या है,
जो था अज्ञये वो मन यूँ हार गया,
मानो भुला सब जित और हार‌ क्या है।

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27 SEP 2024 AT 18:23

महलों की मंजिल के लिए,
जो तुम मकानों के रास्ते छोड़ चले हो,
उम्मीद है सफर अच्छा रहा होगा,
जो भावनाओं से मूहँ मोड़ कर बड़े मुकामों की ओर चले हो।

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18 SEP 2024 AT 10:42

मैं शायद वहम से महोब्बत करता हूँ,
सपना होता तो टूट जाता,
हकीकत होता तो सपष्ट होता,
पत्थर होता तो पिघल जाता,
इंसान होता तो लौट आता,
प्रेम होता तो कभी ना खोता,
एक वहम ही है कि,
ना टूटता है ना छूटता है,
ना बदलता है ना पिघलता है,
ना खोता है और... ना पाने को ही कुछ होता है।

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16 SEP 2024 AT 17:06

किसे तेरा इशारा समझे,
किसे माने आदेश तेरा,
उलझन भरा मन ना समझे,
करो सपष्ट प्रभु आदेश मेरा।
मैं हूँ खड़ा बिच सफर में,
झेले सब कंकड़ पत्थर,
आस की राह नई दिखलाओगे,
मंजिल तक जैसे तैसे ले जाओगे,
हूँ समर में विचलित माधव,
और भी हैं कई पार्थ समर मे,
प्रभु फिर से कब गितोप्देश सुनाओगे।

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