Ajay Singh Redhu  
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शून्य में हूँ मैं, शून्य है मुझमें, शून्य नहीं हूँ मैं, शून्य नहीं मुझसे...
Joined 25 May 2017


शून्य में हूँ मैं, शून्य है मुझमें, शून्य नहीं हूँ मैं, शून्य नहीं मुझसे...
Joined 25 May 2017
14 JUL AT 22:41

मन में तेरे शोर है, सुन,
यानी तू कमज़ोर है, सुन।
सोचा बुरा, बेशक न किया,
मन में तेरे चोर है, सुन।

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10 JUL AT 19:36

दुनिया में ना कुछ कम है,
पर सबका एक मौसम है।
सब तो है पहले से ज़्यादा,
फ़िर भी लगे के कुछ कम है।
क्या क्या ग़म हैं, सोचो तो,
सोचो तो क्या ही ग़म है।
ज़िम्मेदारी ले ख़ुद के,
ग़म की अगर तू आदम है।

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9 JUL AT 22:01

सब तो है पहले से ज़्यादा,
फ़िर भी लगे के कुछ कम है।
क्या क्या ग़म हैं, सोचो तो,
सोचो तो क्या ही ग़म है।

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13 DEC 2024 AT 0:17

अब ख़ुश हूँ मैं था गुमसुम,
पास मेरे क्योंकि हो तुम।
सबकी निगाहें हैं तुम पर,
तुम हो के मुझमें हो गुम।
मैं कितना खुशकिस्मत हूँ,
ये मुझ को ही है मालूम।
अपनी सब रातें रोशन,
चाँद मैं तुम मेरे अंजूम।
इक-इक कर सतहें खोली,
मन में बसे हो बस इक तुम।
पूछते हो क्यूँ लिखता हूँ मैं,
मैं नहीं ये लिखते हो तुम।

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12 NOV 2024 AT 12:35

अब ख़ुश हूँ मैं था गुमसुम,
पास मेरे क्योंकि हो तुम।
सबका निगाहें हैं तुम पर,
तुम हो के मुझमें हो गुम।
मैं कितना खुशकिस्मत हूँ,
ये मुझ को ही है मालूम।
इक-इक कर सतहें खोली,
मन में बसी हो बस इक तुम।

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23 SEP 2024 AT 8:12

खुशी होती है बस न किसी से न कहीं पे मिलती है,
मुझे लेकिन ये तब होती है जब तू मुझसे मिलती है।
ज़रूरी एक मज़बूरी है जो मैं दूर हूँ तुम से,
मग़र ये तो है तय आख़िर नदी सागर में मिलती है।

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6 JUL 2024 AT 7:31

मन ख़ाली तब होता है,
जब शून्य से भरा रहे।
सुख का पलड़ा भारी है,
दुख का चाहे भरा रहे।
अपने सब लगते है जब,
अपने में मन लगा रहे।
जो होता नहीं, है ही नहीं,
जो है, बस वो बना रहे।

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15 JUN 2024 AT 9:15

नहीं है अब दुनिया में पर सपने में, है ऐसा लगता है,
आँखें खुलें तो उसका ना होना सपने जैसा लगता है।

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26 APR 2024 AT 10:25

वादे कितने ही करवा लो, पूरा करना कोई नहीं,
झूठे देखे बहुत मग़र, मोदी जितना कोई नहीं।
अंतिम मौक़ा भी हो सकता है ये नेता चुनने का,
मोदी को चुनने से अच्छा अबके चुनना कोई नहीं।

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16 APR 2024 AT 20:03

सोता हूँ हर रात सोचकर, वापस अब घर जाना है,
असमंजस में मन पर उठकर सुबह काम पर जाना है।

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