कोई हसीन सा बहाना बनाकर, कोई बेवजह की बात बताकर, तुम मेरी तेरी बात जब अधूरी छोड़ जाते हो, वो जो इस बार तय किया था भूल जाते हो, उठ के जाने की बारी मेरी थी, रोकने के फ़र्ज़ तुम्हारे थे |
एक बेमतलब सा रिश्ता है कोई नाम तो नहीं, इश्क़ में पड़ना और निकलना कोई काम तो नहीं, मेरा कुछ कहना, तुम्हारा मुस्कुराना, हसीन है ये सफर, मगर अंजाम तो नहीं ।