मेहबूब तो कई मिले राहों में लेकिन उनमें कभी मैं तुम्हे ना पा सका, गले तो लगे वो भी पर ना जाने क्यों उनकी बाहों में तुम्हारा प्यार ना भुला सका, ता उम्र एक मलाल रहेगा जिंदगी में एक इश्क किया था मैंने जिसे मैं निभा ना सका
के यूं तो सबके लिए आम सा लड़का हूं मैं पर वो मुझे मेरी खूबियों से पहचानती है मेरी जिंदगी के जिस पहलू से अनजान है सब वो उसे भी भली - भांति जानती है मेरी जिस शक्सियत को गुमनाम रखा था मैने वो उसे Anon कह के पुकारती है
ना जाने किस ख्वाहिश के पीछे भागे जा रहे हैं मंज़िलो का हमे पता नहीं और रास्तों को बदलते जा रहे हैं गुमराह मंज़िलें है या हम पता नहीं अब ख्वाहिशों की तलाश में हम खुद को खोते जा रहे हैं
बचपन में हम ना जाने कितने सपने देखते हैं कभी खुदको डॉक्टर तो कभी सिंगर बनते देखते हैं लेकिन उम्र के साथ हम हालातों के आगे मजबूर हो जाते हैं और ये सपने देखते ही देखते हमसे दूर हो जाते है
यूं हर किसी को अपनी खुशियों में शामिल ना करो वक़्त के साथ ये अपनी औकात दिखा जाते हैं ये जो आज भीड़ खड़ी है ना साथ बुरे वक़्त में इनमे से कुछ ही साथ खड़े नज़र आते हैं