मिलते थे जिनसे ज़ोरों शोरों से गले
आज उनसे हाथ भी ना मिले
चले गए ना जाने कितने ही लोग
और
उनके अधूरे सपने डायरी में बंद मिले
अपने अपनों से दूर तो पहले ही थे
अब सरकार कहती है कोई किसी से ना मिले
कहने तो तो क़ानून ववस्था बहुत बड़ियाँ है
फिर भी ना जाने कितने ही लोगों के पास नक़ली रमडीसविर के इंजेक्शन मिले
किसी गरीब को बेड ना मिले
किसी को ऑक्सिजन ना मिले
तो किसी को कब्र और शमशान में जगह ना मिले
और सरकार कहती है की ऑक्सिजन का रोना अगर रोना है तो भाई हमसे ना मिले
फिर भी हर जगह इलेक्शन के परिणाम उचित मिले
सरकार कहती है ये हमारा आप से अनुरोध है की ग्रूप में कोई ना मिले
लेकिन इलेक्शन कैम्पयन में 1.5 - 2 लाख़ तो ज़रूर मिले
ना जाने कितने ही महीने से किसान बैठे है टिकरी बॉर्डर पर अपने हक़ के लिए लेकिन साला पता नहीं इंसाफ़ कहाँ है जो उनको आज तक ना मिले
वाह रे सरकार भगवान करे जितने भी लोगों ने बद्दुआ दी है तुझे वो तुझे जल्द ही मिले ..
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