तेरे झुमके जिनको चांद तारे लगते हैं
वो सब मुहब्बत के मारे लगते हैं
मैं निकल आया हूं इश्क़ तूफानों से
मुझको ये समंदर अब किनारे लगते हैं
खुशनसीब समझते हैं खुद को आशिक़ तेरे
मुझको सब के सब बेचारे लगते हैं
आदी हो गया हूं ज़माने की रुसवाईयों का
ये कड़वे बोल अब शक्करपारे लगते हैं
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काबिल ए तारीफ़ हैं दोनों, तू और खुदा भी
इक दीवाना बनाया है, इक ने तेरा हुस्न-
वो लोग जो अकेले होते हैं,
सब ने देखे मेले होते हैं
बांटते बांटते खुशियां सबको,
खाली खुद के झोले होते हैं
जिन्होंने सजाई होती हैं महफिलें सबकी,
वही लोग आखिर में अकेले होते हैं ।।
Instagram @mehfil_e_a.arzoo
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मानवता अपना वजूद को खो रही है,
देखो इंसानियत भी आज रो रही है,
देखो ये मनुष्य कितने महान है,
करी है कितनी क्रूरता उनसे जो बेजुबान है,
आज शर्म आ रही है खुद को इंसान कहते,
वो बेरहम कुछ भी थे मगर इंसान न थे,,,
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अगर न मिले मुहब्बत तो क्या होता है ।
मेरी मान तू बे - वजह रोता है ।।
जो चाहता है, हो उसके हाथों में गुलाब,
यार वही कटों की चुभन सहता है ।।
भर जाएंगे तेरे ज़ख्म भी सहते सहते,
"अजय" दर्द भी आखिर में दवा होता है ।।
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मुझको होना था वो ख्वाइश तुम्हारी,
जिसके लिए तुम दुनियां से भिड़ जाओ ।।-
तारे तेरी झोली में रख दूं, तू इशारा तो कर
दामन खुशियों से भर दूं, तू इशारा तो कर ।।
अंधेरे तेरी ज़िन्दगी से खुद किनारा कर लेंगे,
चांद तेरे छज्जे पे रख दूं, "तू इशारा तो कर" ।।
ज़िन्दगी या मौत जो चाहे तू खुद लिख लेना,
कोरे कागज के दस्तखत कर दूं, "तू इशारा तो कर" ।।
कच्ची मिट्टी से वादे हर रोज तोड़े जाते हैं
मेरी सांसे तेरे नाम कर दू, "तू इशारा तो कर ।।
गर ऐतबार नहीं मेरे वादों पे तो चल घर चल
अभी मांग तेरी भर दूं, "तू इशारा तो कर" ।।
ख़ुदा ने बक्सी है नयमत लिखने की मुझको,
तुझे काफ़िए से ग़ज़ल कर दूं, "तू इशारा तो कर"।।
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