Ajay Nema  
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Kind by heart
Born on 09/05/1974
Joined 29 December 2019


Kind by heart
Born on 09/05/1974
Joined 29 December 2019
YESTERDAY AT 19:37

तुम्हारे अँधेरों में मैं उजाला बनकर आऊँगा
ग़मों की काली रात में मैं जुगनू सा टिमटिमाऊँगा
©अजय नेमा

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3 MAY AT 21:03

अंदर की रोशनी को
ज़रा बाहर तो लाना
अँधेरा बहुत है दुनिया में

©अजय नेमा

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3 MAY AT 19:11

उज्जवला को अपने रूप-रंग का बड़ा गुमान था, उसकी नज़रों में बाहरी सौंदर्य ही सब कुछ महत्व रखता था,यदि रूप-रंग ना हो तो ईश्वर की क्या कारीगरी,उसका ऐसा मानना था ।
विदुषी उसकी सहेली अक्सर समझाती रही कि ज़िंदगी यही नहीं है, रूप-रंग के आगे भी बहुत कुछ ख़ास है,परंतु उज्जवला पर मानो कोई असर नहीं होता था ।
एक रोज़ उज्जवला की स्कूटी का एक्सीडेन्ट हो गया,
चेहरा बुरी तरह जख़्मी हो गया, आगे का दाँत टूट गया,चेहरा बहुत ही विकृत हो गया, वह ख़ुद को आईने में देखने से घबराने लगी, तब उज्जवला ने फिर उसका मनोबल बढ़ाया, उसे सलाह दी कि ज़िंदगी के कई ख़ूबसूरत रंग हैं,तुम अपनी सीरत का कोई ख़ूबसूरत सा रंग चुनो, मुझे याद है तुम बचपन में पेंटिंग किया करती थीं,क्यों ना रंगों की कूँची थामकर
फ़ीके पड़ चुके आत्मविश्वास में रंग भरो, अपनी भीतरी ख़ूबसूरती को बाहर लाओ, यह बात उज्जवला को भा गई, उसके बाद उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा,कई आर्ट गैलरी में उसकी कला को प्रदर्शन का मौका मिला और कला के क्षेत्र में उसने अपना नाम रोशन किया ।
ईश्वर की हर कृति अनमोल है, ठीक उसकी कृति की तरह, यह बात उज्जवला अच्छे से जान चुकी थी ।

©अजय नेमा

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2 MAY AT 19:08

एक बार जंगल में हाथियों की सभा हुई । राजा हाथी के सामने सब अपने पराक्रम का बखान कर रहे थे ।
एक हाथी बोला मैंने अपने पैरों तले पूरा खेत उजाड़ दिया , दूसरा बोला-मैंने अपनी सूँड में लपेटकर कई लोगों को पटकनी दी । तीसरा कहने लगा मैंने कई पेड़ जड़ से उखाड़ गिराए.....इस तरह सभी अपने पराक्रम का बढ़ चढ़कर बखान करने लगे और ज़ोरों से चिंघाड़कर हर्ष जताने लगे ।
पास ही चींटियों का झुंड यह सब सुन रहा था, उन्हें समझते देर ना लगी कि ये सब अहंकार में हैं, इनका अहंकार तोड़ना होगा, रानी चींटी ने इशारा किया और सारी चींटियाँ हाथियों पर टूट पड़ीं और उनकी सूँड में घुसकर काटने लगीं ।
हाथी ज़ोरों से चिल्लाने लगे और चींटियों से निकलने का कहने लगे, रानी चींटी ने पहले वादा लिया कि अब कभी वे अपने पराक्रम का दुरूपयोग नहीं करेंगे ।
अहंकार हमेशा घातक होता है, हमें हमेशा इससे बचना चाहिए ।

©अजय नेमा

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2 MAY AT 0:00

ख़ुल्द हम अपना ख़ुद बनाएँगे
यह पसीने की मिरी बूँद बोलती है

©अजय नेमा

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29 APR AT 20:06

वो किताब एक अबूझ पहेली रही....👇

©अजय नेमा

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29 APR AT 18:03

इश्तिराक है मेरा,तेरे आँसुओं के अंबार में
दरकिनार ना कर देना,बस यूँ ही मुस्कुराकर

©अजय नेमा

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28 APR AT 20:37

उसकी चुप्पी बहुत बोलती है
काम करती है ज़्यादा,मुँह कम खोलती है
हवा सी है माँ,मेरी साँसों में डोलती है

©अजय नेमा

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26 APR AT 21:04

दफ़अतन चले आए वो मेरे ज़ेहन में
और जन्नत का दीदार हो गया

आकर बैठे पहलू में मेरे वो
और उस लम्हात से मुझे प्यार हो गया

मेरी जीत हो गई दिल हारकर
और वो मेरी जीत का हक़दार हो गया

©अजय नेमा

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26 APR AT 20:55

उम्मीदें जगी हैं आज
जो सो गई थी कहीं
यह बात मुझे मालूम हुई है
बिल्कुल अभी अभी ।

चाहत मर गई थी
मरे शौक थे सभी
जन्म लिया दुबारा
खुली आँख फिर तभी

पुनर्जन्म आस्था का
रंग लाया इस कदर
दुनिया की हर चीज
अब लग रही मुझको हसीं

©अजय नेमा

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