AJAY KUMAR KUMAWAT   (अजय (विश्राम))
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Taught to Thought & Caught a Quote
Joined 29 May 2018


Taught to Thought & Caught a Quote
Joined 29 May 2018
20 JUN 2021 AT 10:19

Prepare for the Better and Ready for the Worst...

Ready for the Worst and Hope for the Best...


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20 APR 2021 AT 16:55

हर इंसाँ में छिपी है एक कहानी,
जो कागज़-कलम से बयाँ करता है इसे,
वह लेखक बन जाता है।

और...
जो इस कहानी को देता है अलंकार रूप,
वह साहित्यकार बन जाता है।।

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27 JAN 2021 AT 12:14

जो महत्वपूर्ण हो,
जरूरी नहीं कि वो दिलचस्प भी हो।

जो दिलचस्प हो,
जरूरी नहीं कि वो महत्वपूर्ण भी हो।।

इसलिए बेहतर है कि...
जो महत्वपूर्ण है,
उसे ही दिलचस्प मान लीजिए!!!

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12 OCT 2020 AT 21:20

....

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6 OCT 2020 AT 0:40

★डटे रहना तू सदा★

कोई आता है यहाँ, तो कोई जाता है।
कोई सिखाता है, तो कोई दिखाता है।
कोई मरहम है यहाँ, तो कोई सताता है।
कोई हँसाता है यहाँ, तो कोई रुलाता है।
कोई करता है जुदा, तो कोई मिलाता है।
कोई निभाता है यहाँ, तो कोई जताता है।

अभी हैं और होंगे, उतार-चढ़ाव इस जीवन में,
मगर ना लाना खरपतवार तू तेरे हृदय-वन में,
अभी होंगे कई हालात-ए-जंग तेरे मन में,
फिर भी व्यथा ना रखना तू इस मन में।
अभी होंगे शायद अभाव तेरे धन में।
मगर तू डटे रहना सदा इस रण में।

बुरे के बख़ान में क्यूँ वक़्त ज़ाया करना,
देख! तुझे दूर तलक तक जाना है।
अच्छा हो कि बुरा भी बीत जाए यूँ ही,
सुन! सुनहरा कल अभी आना है।

अभी शायद तेरा वक़्त भी है कहीं बग़ावत पर,
तभी तो ये दुनिया ठोकरें और ताने है मारती।
सब्र कर, और बस जुटे रहना जुनूँन से,
पलटेगी बाज़ी, सब करेंगे तेरी आरती।

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29 SEP 2020 AT 16:11

◆कुछ तो मजबूरी रही होगी◆

मजबूर हैं वो भी
मजबूर हैं हम भी।
ख़ुशी थी मिलने की,
अब है बिछड़ने का ग़म भी।।

पास आने से पहले ही,
ये कैसा गज़ब का दस्तूर हुआ।
क़रीब आना था जिनको,
वो इस क़दर अब दूर हुआ।।

ये बुनियाद बुनी थी,
वक़्त के क़तरे-क़तरे से।
मिलने से पहले कहाँ भनक थी,
हमें इस अनजान ख़तरे से।।

मिलकर भी ना मिल पाने की,
कुछ तो ऐसी मजबूरियाँ रही होंगी।
बिना कहासुनी के दूर हुए हम,
सोचो!
कितनी ग़मगीन ये दूरियाँ रही होंगी।।

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9 MAY 2020 AT 2:56

★कब तक यूँ★

क्यूँ थकती है तू? क्यूँ रुकती है तू?
यूँ हालातों के आगे, क्यूँ झुकती है तू?

कब तक यूँ, काल्पनिक डरों से डरोगी?
कब तक यूँ, अनदेखे अँधियारों को सहोगी?
कब तक यूँ, खुद को ऐसे कमजोर कहोगी?
कब तक यूँ, मंज़िल से अपनी दूर रहोगी?

सफर की ये तो महज़ शुरुआत है,
मुकाँ पाने हैं, बहुत से अभी।
चलना है बस, रुकना ना कभी,
काज पूरा करके, 'विश्राम' अल्प तभी।

मेहनत करनी है इतनी,
शून्य से शिखर तक जाना है।
लक्ष्य भी गर्व करे पाकर तुझे,
कारनामा कुछ ऐसा करते जाना है।
अन्त में बस याद रहे इतना ही,
बनना है इतिहास या इतिहास बनाना है??

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7 MAY 2020 AT 22:41

★रविन्द्रनाथ टैगोर जयंती★

हमारी संस्कृति के परिचायक,
हम पर लगा है एक 'टैग और'
कवि-दार्शनिक-संगीतज्ञ-चित्रकार,
ले जाते हमें राष्ट्रवाद की ओर।

गुरुदेव की उपाधि से अलंकृत,
स्वतंत्रता-लक्षित स्वप्निल दृष्टि।
त्रय-राष्ट्र राष्ट्रगान निर्माता,
समाए उनमें समस्त सृष्टि।

जन-गण-मन के हैं वे कवि,
प्रथम साहित्य विजेता की छवि।
वो कोई और नहीं,
वे हैं रविंद्रनाथ जी टैगोर कवि।

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7 MAY 2020 AT 19:46

★बुद्ध पूर्णिमा★

युद्ध से शुद्ध की ओर,
जिसने मार्ग दिखलाया था।
घायल पंछी को बचाकर ही तो,
वो बचपन से बुद्ध कहलाया था।

शांति-सौहार्द का पाठ पढ़ाए,
आष्टांगिक से अस्तित्व बताए।
मध्यम मार्ग से मन मोह जाए,
मन-मस्तिष्क को कृतज्ञ बनाए।

वैशाख पूर्णिमा की
बहुत-बहुत शुभकामनाएं...

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4 MAY 2020 AT 20:48

When I go far away,
Far away nights in the woods,
I feel still connected with you.

Although,
You're far away from earth,
And you've touched,
The blessed land of heaven.

Oh !!! My 'Little Angel',
Still you alive,
Into the form of Twinkling star,
Still you roam in memories of mine,
Still you're soul of shine.

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