Ajay Kishor   ((किशोर) दिल की आवाज़)
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Joined 29 August 2019


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2 DEC 2021 AT 21:47

युँ तो नाम मशहूर है आज भी मेरा
उन गलियों में, दीवाने की तरह
जहाँ तेरे दर पर आया में पर मर ना सका

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30 NOV 2021 AT 23:18

बस यही काम तुम्हे बखूबी आता है
दिल हमारा तोड़ कर तुम्हे मजा आता है

गर होता दिल तुम्हारे भी सीने में
समझती दर्द हमारा,
होती आँखें नम हमारी,
धड़कता दिल तुम्हारा।

बस यही काम तुम्हे बखूबी आता है
यूँ ही नहीं लोग कहते हैं
इश्क़ में रोने में मजा आता है

होता है इश्क़ निभाना जिसके जिम्मे,
दर्द-ऐ-इश्क़ उसी को भाता है

बस यही काम तुम्हे बखूबी आता है
दिल हमारा तोड़ कर तुम्हे मजा आता है

तुम्हारी खुशी की खातिर हम हर दुख सह लेंगे

गर मिलती है तुम्हे खुशी
तो हम टूटे दिल के साथ जीलेंगे
बस तेरी बेरुखी हमसे ना बर्दास्त होगी

खुश रहना तुम सदा, फिक्र ना करना
अपनी मौत का इलज़ाम हम,
खुदी पर लेलेंगे

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19 MAR 2021 AT 12:20

एक तेरे इश्क़ में हम इस क़दर फना हो गए।
बिन तेरे जीना हमारी नज़र में लाखों गुन्हा हो गए।

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8 MAR 2021 AT 16:26

मुस्कुरा कर, दर्द सारे भुला कर रिश्ते सारे निभाती है
सारी दुनिया एक तरफ फिरभी नारी अकेली नज़र आती है
दुश्मन को वो प्यार सिखाये, नफरत के वो फूल खिलाये
बस इसीलिए नारी महा शक्ति कहलाती है

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9 DEC 2020 AT 17:04

एक चेहरा ऐसा भी देखा जमाने का।
समझा था जिसे अपना हमदर्द।
वही पैगाम लाया हमें सताने का।

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27 NOV 2020 AT 22:24

किसान

हर रात काटते हैं नेहरों से पानी।
सर्द मौसम की अंधेरी रातों में
खुली आँखों से जी हो जिसने भरपूर जवानी।
आये नज़र शहरों की सड़कों पर
दूसरों के दुख में बहाते थे जो कभी आंसू अपने।
आज उनके दर्द पर मुस्कुराते हो।
हर बात हसी में उड़ाते हो।
ये वो भगवान हैं जो पत्थर से सोना उगाते हैं।

यूँ ही नहीं ये किसान केहलाते हैं

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4 NOV 2020 AT 12:49

संगिनी

तिरछी नज़र से किया जो वार।
हार गया में दिल हर बार।
गुलाब से होंठों का वो इशारा।
हमें गुलाम बना गया तुम्हारा।
बिना सुने हर बात मानती हो।
हमारी तुम हर नस पेहचान्ति हो।
ऐसे ही नही हो तुम जीवन का सार।
अच्छे हों या हों बुरे हमें ही मानती हो संसार।
हर मुश्किल के आगे खड़ी तुम हो।
देवी की मुरत में धरा की नारी तुम हो।

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3 NOV 2020 AT 16:59

जो तेरे होजाते गर
तेरे न होते तो वहीं रुक जाते
राह में तेरी तुझे हर दम नज़र आते
तु कहती तो दिख जाते
तु कहती तो छुप जाते
हमसे इतना भी न हुआ
तेरी इच्छा के आगे हम बिछ जाते
तेरे कहे पर हस्ते
तेरे कहे पर मुरझाते

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3 NOV 2020 AT 16:45

बीच राह जब मिली तुम हम बतिया ना सके।
देखा तुमको नज़र भरकर पर मुस्का ना सके।
दिये तेरे ज़ख़्म जिंदा हैं आज भी।
सह कर सारे दर्द, दिलसे तुझे भुला ना सके।

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3 NOV 2020 AT 12:46

चेहरे की मुस्कान, दिल की मायूसी।
ये दो हैं वो चीजें जो इंसान को इंसान से छुपाती।
थी अजीब सी वो कश्मश।
कैसे तुम्हे बताते कैसे जताते।
समझ ना पाए दी की मायूसी।
जब हम मिलकर मुस्काते।

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