बिना मंज़िल के जीया कई करते है।
अन सुने सफर पर चला कई करते है।
ख्वाब अक्सर पूरे उन्ही के होते है ।
जो वक़्त की वक़्त पर कदर करते है।
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गर है इश्क़ तो खूब कर।
तू जां लूटा मेहबूब पर।
एक दिन थक जाएगा ।
लड़ झगड़ा कर ऊब कर।
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उस रोज ये कैसी वारदात हो गई।
चाँद खो कर अकेली रात हो गई।
खोजने भेजा शाम को जब उसे तो।
अंधेरे की सितारों से मुलाक़ात हो गई।
टिमटिमाते तारों में उलझ गया अंधेरा।
आँखों ही आँखों से दोनों में बात हो गई।
कुछ वक़्त बाद दिखा चाँद जब रात को।
तो रात की आँखों से बरसात हो गई।
सितारें ले गए अंधेरे को किसी और जहां में।
फिर सूरज की किरण दिन के साँथ हो गई
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नाम तुम्हारा जपने से ही।
बन जाते है बिगड़े काम।।
राम बिना सारा जग सूना।
सूने लक्ष्मण और हनुमान।।
हुआ उजाला अवधपुरी में।
देखो फिर घर आए राम।।
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है कलाई सूनी मेरी, औरों के हाँथ में राखी है।
है तिलक सबके मांथे पर, मेरे तन पर खाखी है।।
है गुस्सा मेरी बहना की, आए न अबकि राखी को।
हूँ नही अब तेरी बहना, बहन बना लो खाखी को।।
री बहना सबकी रक्षा का, भार मेरी इस खाखी पे।
है वादा की आऊंगा मैं, पक्का अगली राखी पे।।
बहना तेरा प्यार मिल गया, है खत वाली राखी में।
घर आके दे दूंगा पैसे, पड़े जो मेरी खाखी में।।
हर पल करू मैं तेरी रक्षा, कसम मुझे इस राखी की।
मातृभूमि की करू सुरक्षा, कसम मुझे इस खाखी की।।
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- Ajay Kaurav
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मैं हम न होता जो तुम न होते।
ये गम न होता जो तुम न खोते।।
शायद पत्थर रहा होगा सीने में तेरे।
गर दिल है होता तो तुम भी रोते।।
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