Ajay Karangiya   (Karang)
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Nobody!
Joined 27 May 2019


Nobody!
Joined 27 May 2019
16 APR AT 21:04

रफ़्तार तो तेरी ठीक सही,
पर काँधे पर लादा बस्ता
तुमको पहुँचने ना देगा साकी!
.
यूँ सबको अपना करने में,
हर किसीका होने में...
तूँ खुद ना रहेगा बाकी!!

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11 APR AT 14:13

હું તારું સ્વપ્ન
અને 'મારું જાગરણ' એટલે "તું"...
હું તરંગ સલીલે ઉછળી આવેલું અસ્થિરે
પણ અંતે તો હું પાણી જ ને?
શું એટલે કે નહીં એ તું!?

ને કહેતું રહેવાયું મુજને
કે હું મેલો હું મેલો
ને બંધારણે જો બંને એક
તો હું મેલો કે તું મેલો?

ને આવા આક્ષેપો કરતો એ,સામે દલીલો કરતો હું
ને વચ્ચે વગર વાંકે વાગોળાતો તું
ખેલ ખેલી ને નિર્ણાયક બધું જો અંતે એક
તો ઘેલો એ?? ઘેલો હું??
કે સાવ ઘેલો તું??

ખુદ નાચે,ખુદ નચાવે...
ને ખુદ કરે બેઠો બેઠો વાહવાહી!
આમ જરાક મને કે'ને ચોખ્ખું
તું કરવાને ધારે છે શું??

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21 MAR AT 21:05

You were here,
Just before we came!

You're an idea!
And the beautiful your idea is!
Untouched by the human crowd!
But wrapped in individual thoroughly/

You are everywhere they say...
But as a crowd we tried to chase you,
And lost the essence of yours!

The almighty you're...
But may be feared of our indulgence
and hunger to grasp you!
The way we treated
every reflective particles of yours,
We are standing in the valley where
We tried to consume you by our
empty spaces and ended up with
spoiling the beauty of yours!

I think you were here,
Just before we came!!

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16 MAR AT 14:48

સવારની ઝાંકળ અને ધૂળની ડમરીની વચ્ચે
ત્રણ રસ્તાઓ જોઈને એણે બાઈકને સાઇડમાં ઉભી રાખી.
ને રસ્તો વાળતા વૃદ્ધ માજીને પૂછ્યું...
"માડી.....આ મુરલી મનોહર બાજુ કયો રસ્તો જાય છે!?"
"બધા રસ્તા એ બાજુ જ જાય છે ભઈલા,
આ ગાડી જરાક આગળ હટાળો ને...!!"
.
'વાત તો તમારી યે સાચી છે માડી!'
ગાડીને કિક મારતા મારતા એ ધીમા અવાજે બડબડ્યો.

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16 MAR AT 1:46

तेरी बंदगी ही मेरी शख़्सियत हो,
तेरी याद जैसे मेरी मिल्कियत हो!
.
हर सुबहा को माथे पे तेरा जूनूँ हो,
तुझे सोचने भर से मुझको सुकूँ हो!
.
तेरा होना भी लगता है जैसे रुकावट!
तूँ हट जाए ज़रा सामने से अग़र....
तो तेरी याद से मेरी कुछ गुफ़्तगू हो!!

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14 MAR AT 9:55

जाओ उसके पास को बैठो,
है तय वो तुमको ठुकराएगा!
.
जो है वो कहा ना जाएगा,
ज्यों कहा तो सब खो जाएगा!
.
सुनना तुम उसकी मुक वाणी
वो ऐसे ही सत् बरसाएगा!!

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13 MAR AT 22:05

पहाड़ों की उन चोटियों पर,
पत्थर के जैसे जमती रहती बर्फ़
सर्द हवाओं के चलने से
कुछ और कठोर सी हो जाती
मग़र मिलने पर कोई हरारत
द्रविभुत हो पानी पानी
समा जाने को सागर में दौड़ पडती
जैसे नदियाँ होती हैं बेकाबू!!
वैसे ही अपने प्रेम में
होकर प्रियतम को समर्पित
करने लगती बच्चों सी शरारत
आंदोलित हो,हो बावरी
जी उठती है लड़कियांँ!!

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6 MAR AT 22:42

जो जहाँ है उसे वहीँ पर होना था,
हमें लगता है की कुछ मिल जाता तो बात कुछ और होती
मग़र चीज़ों के मिल जाने से
हम वो ना होते जो हम आज हैं
और उसकी अहमियत भी ना बनी रहती उतनी
जितनी आज है!
जीवन में अमिट छाप छोड़ते हुए
लोगों के साथ बीते वक़्त का लेखा जोखा
हमारे भीतर पनपता रहता है
जो हमें बनाता है!!
ये क्यों हैं इसका जवाब कोई ना दे पाएगा...
जैसे चेहरे पर वक़्त के साथ बन जाती झुर्रियां
बतलाती है आज तक की कहानी /
जो जहाँ है वहीं पर खूबसूरत है!
तुम्हें जो कहानियाँ आज प्यारी लगती है,
जो वाकये तुमसे भुलाये नहीं भुलते
उनको अधूरे होने की कसक ने खास बनाए रक्खा है!!

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17 FEB AT 18:24

कहते हो तुमने नहीं देखा खुदा को!?
हकीकत!तुमने उस नज़र से नहीं देखा!
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काफ़िरों के पैरों से लिपटकर,
ले जाता हूआ खुदा कि और...
दुआओं का तुमने अभी हौसला नहीं देखा!
.
किसी बच्चे के रोने के आवाजें,
ज़ालिमों को अभी तुमने पिघलते नहीं देखा!
.
नहीं देखी अभी तुमने फकीरों की...
खैरात में सरेआम बटती हुई मौसीकी!
.
बेसिला बेवफाओं पर वफ़ाए लुटाते,
आशिक़ो का तुमने अभी सलीका नहीं देखा!
.
देखी है तुमने बस एक दूजे को नौच खाती दुनियादारी...
माली की नज़र से तुमने अभी बगीचा नहीं देखा!
.
हकीकत तो तुमने उस नज़र से नहीं देखा!!

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11 FEB AT 17:54

होगी कराल जब रात्रि तब
और सो रहा होगा ये जग
श्याह अंधड कि उस घड़ी में
उड़ने से जब डरते हों खग
विपदाओं मैं त्राहि त्राहि
जब कर रही हों शौर्यकथाएं
तब मैं गरुड़ हो आऊँगा
तब श्याम अश्व पे हो सवार
माथे पर ले मृत्यु का श्रृंगार
हाथों में खड़ग को थाम लिए
तब मैं रण को आऊँगा
या तो बन जाऊँगा मृत्यु
या मृत्यु को वर जाऊँगा
हर हर महादेव का नाद लिए
मैं गरुड़ हो जाऊँगा
तब मैं ही रण को आऊँगा!

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