AJAY JOSHI   (आत्मन(अजय जोशी))
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Joined 8 March 2018


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27 MAY 2022 AT 22:41

तुम्हारे चेहरे पर मेरा हाथ हो तो मजा आए
और आहिस्ते से पुरानी बात हो तो मजा आए
पहाड़ो के दरमियां बरसात हो तो मजा आये
आज फिर से वो मुलाकात हो तो मजा आ जाए

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5 NOV 2021 AT 21:25

जब भी कोई प्यारी दादी नज़र आ जाती है
तू अचानक मेरे सामने आकर खड़ी हो जाती है
और जब वो मुझको अपनी कुछ बाते सुनाती है
तू भी मुझसे बिना मिले ही काफी कुछ बतियाती है

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16 OCT 2021 AT 21:23

नज़रो से मेरे अक्स पर अफ़साने लिखती हो
मैं अकेले में आईना भी देख लूं तो तुम दिखती हो

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21 SEP 2021 AT 18:39

उन अंतिम क्षणों में तेरा हो लिया होता,
तेरी गोद मे थोड़ा और सो लिया होता
कर लेता तमाम काम दुनिया के बाद में,
काश,
तुझसे गले मिलकर थोड़ा रो लिया होता

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5 SEP 2021 AT 21:20

कभी अनजाने सफर में हाथ पकड़े दोनों गुम हो
मैं तन्हा होउ भी तो कैसे, मेरे होने में सिर्फ तुम हो

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1 SEP 2021 AT 8:34

कभी सत्य के साथ खड़ा हूँ नग्न,
कभी पर्दे के पीछे रहता हूँ ...
फितरत से आदमी हूँ साहब,
बस दो दुनियाओं मे बहता हूँ ...
कभी कहता हूँ लोगो को परेशान ,
कभी खुद को मजबूर कहता हूं ...
साक़ी की नजर से ना मिले नज़र अगर,
तुम्हारा हल्का हल्का दर्द सहता हूँ ...
कभी क्रोध में कहता हूँ कुछ किसी को
कभी अपनो के ताने सुनता हूँ
फितरत से आदमी हूँ साहब
अपनी नियति खुद चुनता हूँ

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25 AUG 2021 AT 22:35

रात चांदनी में हसीं तराने मैंने देखे है सभी
तुमसा मुझे कोई मिला है ना मिलेगा कभी

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30 JUL 2021 AT 18:48

माफ करना मुझे मैं असहाय स्तब्ध सा था
घड़ी जो गुजरी मगर लौट कर आती कहाँ है
मैं तुझसे आकर मिल लूं एक बार और
बता आखिर मरने पर आत्मा जाती कहाँ है
तुझसे गले मिल कर थोड़ा हंस भी लूं तो कैसे
तू रुलाए ही तो जा रही है अब हंसाती कहाँ है
थोड़ी शैतानी हम फिर से करना चाहते है
लेकिन तू बोल बोल कर अब सताती कहाँ है
ठोकर खाकर हम सब फिर से गिरना चाहते है
तू लेकिन उठाने के लिए हाथ फैलाती कहाँ है
भटकते हुए लिखता जा रहा हूँ तेरी यादों को
बता, मेरे बचपन के घोड़े हाथी कहाँ है
बा , तू अब लौट कर आती कहाँ है
कम्बखत तेरी याद भी जाती कहाँ है

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30 JUL 2021 AT 18:44

बा , तू अब लौट कर आती कहाँ है
कम्बखत तेरी याद भी जाती कहाँ है
मैं स्कूल से लौटा हूँ भूखा भूखा
तू थाली में खाना अब लाती कहाँ है
एक अरसे से मैं ढंग से सोया नही
तू जतन कर के सुलाती कहाँ है
छोटे छोटे सिक्के इक्खट्टे करना मंदिरो के लिए
भगवान भी पूछते है अब भेंट चढ़ाती कहाँ है
तूने समझाई है कहावतें मुझे बहुत बार
तू अब कोई कहावत दोहराती कहाँ है
मैंने कई कहानियों को सुना है तेरे गीतों में
लेकिन तू अब वागड़ी में गीत गाती कहाँ है
भटकते हुए लिखता जा रहा हूँ तेरी यादों को
बता, मेरे बचपन के घोड़े हाथी कहाँ है
बा , तू अब लौट कर आती कहाँ है
कम्बखत तेरी याद भी जाती कहाँ है

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29 JUL 2021 AT 14:59

सुबह में वो नही दिखे ऐसी तकदीर हटा दे बस
आशिक़ बनाये ना बनाये मुझे फकीर बना दे बस
आज मेरा खुद पर कोई काबू नही सच मे ,
कुछ भी कर लेकिन उसकी तस्वीर दिखा दे बस

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