कोई लड़की है रौशनी जैसी
आंसुओं में छुपी हंसी जैसी
वो जो देखे तो शेर हो जाएँ
उसकी आँखें हैं शाइरी जैसी
दूर तुझसे कहाँ मैं जाऊँगा?
ये मुहब्बत है हथकड़ी जैसी
मेरी हर रात ही दिवाली है
तेरी यादें हैं फुलझड़ी जैसी
सारी दुनिया में कोई चीज़ नहीं
मेरे हमदम की सादगी जैसी
चाल तेरी है ऐसी मस्ताना
एक बहती हुई नदी जैसी
कैसे लम्हों में ख़त्म कर दूँ मैं ?
उसकी बातें हैं इक सदी जैसी— % &-
मेरी जेब में एक कागज है"
कागज पे एक नज़्म है!
नज्म में इक महबूबा है!
महबूबा की आंखें भूरी हैं !
आंखों में इक ख्वाब है!
ख्वाबों में इक नदी है!
नदी में एक कश्ती है!
कश्ती में एक मल्लाह है !
मल्लाह के होठों पर इक गीत है
गीत में इक कायनात है !
कायनात मेरी जेब में है!
मेरी जेब में पैसे नहीं है!— % &-
जो मिला उससे गुजारा ना हुआ
जो हमारा था हमारा ना हुआ
हम किसी और से मंसूब हुए
क्या ये नुकसान तुम्हारा ना हुआ!— % &-
धूप में कौन किसे याद किया करता है
पर तिरे शहर में बरसात तो होती होगी!
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जिस कहानी को अंजाम तक
पहुंचाना हो नामुमकिन ,
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर
छोड़ दो!— % &-
कत्थई आँखों वाली इक लड़की
एक ही बात पर बिगड़ती है
तुम मुझे क्यूँ नहीं मिले पहले,
रोज़ ये कह के मुझ से लड़ती है!
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जब लोग भूख और गरीबी
के खिलाफ लड़ नहीं पाते,
तब वो मजहब के खिलाफ
लड़ना शुरू कर देते हैं।— % &-
हुस्न को हुस्न बनाने में
मिरा हाथ भी है!
आप मुझ को
नज़र-अंदाज़ नहीं कर सकते?
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बात ऐसी है नहीं वो बात ही करता नहीं
जब हमें होती ज़रूरत बस तभी करता नहीं
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