क्यों दे सफाई,
बस बुरे है साहब हम
बात खत्म...-
आज फिर नया पाठ पढ़ा दिया उसने, किसी को हद से ज्यादा चाहना बुरी बात है।
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भाई! आंसू निकले तो पोंछ लेना खुद ही,
लोग पोछेंगे तो सौदेबाजी होगी फिर-
अंतर्मन में गर्व से तुझे
रोज सवेरे सीने से लगाता हूं।
कैसे करू जुदा, ख़ुद से तुझे
मेरे अंदर बेशुमार है तू।-
खुद को देशभक्त कहना या अपने लिए ये शब्द सुनना, हमारे लिए बड़े गर्व की बात होती है.... होनी भी चाहिए, आखिर क्यों न हो सम्मान की बात.... लेकिन, अपने आप से इस बात का आंकलन करने का साहस भी होना चाहिए कि हमारी ये देशभक्ति की वेलिडिटि लाइफ टाइम है या दो दिन की?
सुनने में शायद दुख हो लेकिन, हमारी देशभक्ति कतई खोखली है... जो कुछ खास मौकों पर ही जागती हैं.... यूं तो किसी फिल्म में राष्ट्र गीत की बात हो या स्वतंत्रता दिवस के मौकों पर तिरंगे के सम्मान की, बस ऐसे ही कुछ खुशनसीब दिन होते हैं, जब हमें इस राष्ट्र में पैदा होने पर सम्मान महसूस होता है... बाकी एक समय होता है, जब हमारे जवान हमारे लिए शहीद हो जाएं... तब हमारी "दो दिन की देशभक्ति" थोड़ा ओवर टाइम कर लेती है लेकिन, सिर्फ "सोशल साइट्स" पर। दिखाना भी तो जरूरी है कि हम कितने बड़े देशभक्त हैं?
खैर ये दो दिन वाली देशभक्ति को ओवर टाइम पर कुछ रूपये और जरा सी सांतवना का बोनस लपेटा और देशभक्ति फिर सो गयी।
अब वो अगले मौके पर ही जागेगी...-
गुस्सा आता है भाई, जब सब कुछ जानते हुए भी मेरे अपने अनजान बनने की असफल कोशिश करते है।
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देखना बहुत ही खुश होंगे वो, हमने कदम पीछे जो कर लिए।
मेरी हार मत समझना, बस अभी लड़ने का कोई इरादा नहीं है।
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खुद में काबलियत हो तो भरोसा कीजिये साहिब
सहारे कितने भी अच्छे हो साथ छोड़ जाते है।-