Ajay Chaudhary   (अल्फ़ाज़ है ओझल)
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Joined 15 May 2019


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Joined 15 May 2019
29 APR 2021 AT 16:01

ये तन्हाईयां मुझसे अब सह नही जाए,
क्यूंकि हरपल तेरी याद जो सताये।

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11 JUN 2020 AT 23:08

वो रिमझिम सा नयन तेरा,
वो प्यारा सा चमक तेरा,
हो गए है उसमें हम गुमशुदा बार-बार...
कियुकि तुझपे ही लिखता जाए ये कलम मेरा।

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30 MAY 2020 AT 0:18

वो काफ़िले मेरे आस-पास मेरे दरमियां से इस तरह गुज़रते थे...
कि जैसे उसमे ही वो मेरे पेश-ओ-यक्ष की बुनियाद को शव समझ ले जा रहे हो।

(पेश-ओ-यक्ष का अर्थ परमात्मा की जादूई शक्ति)

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24 MAY 2020 AT 10:56


न निकलो घर से बाहर...
योग साध्य ही प्रण बना लो,
वरना बनोगे कोरोना का कारण।।

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23 MAY 2020 AT 0:19

घाव इतने है कि अब ज़ख्म भरने के लिए किसी मरहम की ज़रूरत नहीं...
उसने हमें मोतियों की तरह टुकड़ो में है इतना बांटा
कि अब पिरोने के लिए किसी सुई-धागे की ज़रूरत नहीं।

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21 MAY 2020 AT 13:07


माँ तेरे आँचल की छांव का, वो सुनेहरा ख़जाना कहाँ है,
क्योंकि फिर से तेरे आंगन मैंने, खेलने का अफ़साना सजाया है।

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17 MAY 2020 AT 22:40

है नही किसी के पास इतना भी साहस और शौर्य जो समय से अंत तक खुद को संभाल सके,

कहते है न कि: वो दिया ही क्या, जो एक आंगन और घर को रौशन तक न कर सके।

ठीक उसी प्रकार: वो सामर्थ्य ही क्या जो खुद को खुद पर गर्व तक न करा सके।

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16 MAY 2020 AT 18:15

ये सनसनी सी हवा बहकने को तैयार बैठी है,
है कोई ज़रिया किसी के भी पास, जो इसे रोक सके।

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16 MAY 2020 AT 11:32

हो तुम,
जिसपे अगर भवरा बैठ जाये तो वो भी अपने सारे गम भूल जाता हैं।

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16 MAY 2020 AT 0:14

इंसानियत ही इंसान को पीसता है,जैसे पीसता है चक्की हर गेहूँ को,
वैसे ही इंसान के साथ मन भी पिस्ता है,जैसे गेहूँ के साथ घुन को।

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