Ajay Aadivanshi   (Aadivanshi ✒)
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Joined 4 May 2020


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4 MAY 2023 AT 22:38

This is the
World of CRIMES,
Good deeds are
FORBIDDEN HERE.

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6 JAN 2023 AT 22:42

कुछ बातें करना चाहता हूँ,
मगर सुनने वाले कान नहीं है,,,
मेला लगा है चारों तरफ
साँस लेने वाली चीज़ों का..,.
मगर कमबख़्त, कोई इंसान नहीं है..!

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9 DEC 2022 AT 21:50

ज़िक्र क्या जुबाँ पर
नाम भी नहीं,,,
इस से बढ़कर कोई
इंतकाम नहीं...!!

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21 FEB 2022 AT 15:47

लफ्जों की दहलीज पर, घायल ज़ुबान हूँ
मैं अंदर की तन्हाई,
बाहर की महफ़िलों से, परेशान हूँ...

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9 JAN 2022 AT 0:39



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22 DEC 2021 AT 22:57

कितना इश्क़ है तुमसे,
कभी कोई सफाई नहीं दूंगा,
साये की तरह दूँगा तुम्हारा साथ,
लेकिन दिखाई नहीं दूँगा..!!
-unknown

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21 DEC 2021 AT 22:45

तू याद है...

एक बात कहूँ तू याद है
हर लम्हा, हर पल, हर घड़ी
ज़िंदगी का हर ज़रूरी काम तेरे बाद है
तू याद है।
दिल में खुशी हो,
या गम हो,
लबों पर हंसी हो,
या आँखें नम हो,
ये ज़िंदगी तुमसे शुरू
तुझपे ही खत्म,
हर ख्वाब में तेरे ही सायों की तादाद है
क्योंकि तू याद,
बस तू याद है।

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28 JUL 2021 AT 13:57

एक_स्वाल_नव_बौद्धियों_से

यदि वाल्मीकि जी 1०० ईस्वी के कवि थे, जैसा कि
कुछ लोगों ने माना है, तो यह आश्चर्य की बात है
कि उन्हें सिकंदर या पुरु या नंद या चंद्रगुप्त पर
महाकाव्य लिखने की प्रेरणा क्यों नहीं मिली।
100 ई. के वाल्मीकि जी को
इन वीरों पर या अशोक और कलिंग के बीच
एक महान युद्ध पर एक कविता की
कल्पना करनी चाहिए थी
जिसमें एक लाख से अधिक सैनिक मारे गए थे।
वाल्मीकि ने इस पर एक भी कविता की
रचना नहीं की है
क्योंकि वे इन घटनाओं से कहीं अधिक प्राचीन थे।

{संदर्भ- रामायण व वेदों की
विज्ञान संबंधित तारीख - डा० पी. वी. वर्तक}

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24 JUL 2021 AT 2:10

कैसे छोड़ दूँ मैं उसे याद करना आदि
जो ख्वाबों में भी मेरा साथ नहीं छोड़ती...

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11 JUL 2021 AT 19:27

नज़रों से गिरे लोग
सामने आ जाने पर भी
नज़र नहीं आते...

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