उंगलियों को सर के पीछे रख
बालों को अपने गोल घूमाती हूँ
मेरे माथे की भी शिकन दिखे
ये सोच कर बालों को तान देती हूँ
और भौहें उठाती हूँ
ख्वाहिशों का भार इन्हीं जड़ों में रख
सर को पीछे झुका आपनी ठुड्डी उठाती हूँ
जूड़े में मैं अपने
अपनी आज़ादी सजाती हूँ।
- Swarup