समाज,
समाज एक ऐसी ज्वलित अग्नि है,
जिसे, खुशियों और सपनो जैसे,
कोमल चित्त की चिता बनाकर उन्हें,
मुखाग्नि देना बखूबी आता है।
और इस आग से खाक हुई,
चिता की निर्मल आत्मा को,
पूरे काल मे न कभी तृप्ति नसीब होती हैं,
और न ही चिता के चित्त को उसका अस्तित्व।
और आग का तो कार्य ही होता है,
वस्तु के अस्तित्व को ही खाक कर देना!
आखिर कब तक इसी तरह,
दहककर हज़ारों चिताएं जलती रहेंगी?-
Waana die in space
Send wishes on 25 jan
विचारो का गुब्बार जब क्रांतिक तापमान,
के बहुत ऊपर उफान लेने लगता है,
तब जन्म होता है,
क्रोध का।
जैसे पानी को ताप मिलते मिलते,
वो भाप मे तब्दील होता है।
जिसको संघनन होकर ठंडा होने मे,
काफी वक्त लगता है,
और इसके साथ ही अवस्था मे भी,
परिवर्तन आता है।
इसी तरह व्यक्ति का क्रोध भी जब,
शांत होता है,
वक्त के साथ परिस्थिति,
और शायद रिश्तो की अवस्था,
मे भी परिवर्तन आ जाता है!
इसीलिए कहा गया है,
"क्रोध रिश्तो मे विनाश का एकमात्र कारक है। "-
शब्दो को कहना,
और कहने का लहजा,
क्या एक दूसरे के पूरक नही है?
क्या जैसा सोचा जाता है,
वैसा कहा भी जाता है?
अगर कहा भी जाता है,
तो क्या,
उचित शब्द और लहजे के साथ?
बात कहनी ही होती है,
तो अक्सर कही क्यों नही जाती?
अगर कही भी जाती है,
तो समझी क्यों नही जाती?
'शब्द' और 'लहज़ा',
इन दोनों के जाल न बुन पाने से,
क्या रिश्तो के बुने हुए जाल,
नही उधड़ रहें है?
आज इक ऐसी खाई,
इन दोनों के साथ न होने से,
रिश्तों मे आई है,
जिसे शायद 'प्यार' नामक 'पुल',
भी पार नही करा सकता।
आखिर क्यों?-
कहते है आजाद है आज हिंदुस्तान,
ऐसा कहकर क्यो दिखाते है हम झूठी शान।
गोरो से तो हम कबके आजाद हो गए,
पर अपनी ही सोच की बंदिशों में क़ैद हो गए।
इक सवाल है, जिस पर आज तक बवाल है।
गर आजाद है हम तो क्यो है औरतों पर बंदिशे,
गर आजाद है हम तो क्यो है आपस मे रंजिशे।
गर आजाद है हम तो क्यो है आज भी परदा प्रथा,
गर आजाद है हम तो क्यो बिछी है,
समाज में कुरूतियो की लता।
सही मायनो मे उस दिन भारत स्वतंत्र होगा...
जब सबके पास समझदारी का अनूठा मंत्र होगा।
जब न होगी बंदिशे,
जब न होगी रंजिशे,
जब चारो ओर अमन होगा।
जब चारो ओर खुशियों का चमन होगा।-
आज आरजू के न पूरा होने पर ऐसी नवाजिश हुई है,
कि आज खुद से रुबरु होने की ख्वाहिश हुई है।
खुद से मुलाकात कि काविश की गयी है,
मुसलल, पाया है पहले से मुख्तलीफ खुद को इस कद्र,
कि खुद से ही बेइनतहँ बेज़ार हो गयी हूँ।
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A one who have changed my life...
By whom my inner human being is still Alive..
A one who teach me to control my wrath..
A one who always guide the right path...
From childhood to this stage,
Who teach me to control my random idiotic craze..
Several times I have changed my place,
But still by whom my condition always been trace...
Yaa that's my teachers who either of my family members by blood or family by heart...
Thanx for being in my life from best to worst or worst to best moments...
HaPpY Teachers' DaY..
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घुटना,
घुटकर मरना,
मरकर,
फिर नये जोश से उठना,
और उठकर जीना,
यही तेरा क्रम है न जिंदगी....
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तू खुद एक महकता गुलाब है,
हकीकत भी है तू मेरी तू ही मेरा सराब है।
अनोखे इत्र सी खुशबू है तेरी,
हो भी क्यू न, तेरे नाम मे ही प्यार है।
वाकई मे "भईया" फूलों सी हंसी है तेरी,
तू खुद एक महकता गुलाब है।-
Plug my earphones to phone's jack,
And plays all the music track...-
leaving hostel on vacation and going home,
And going hostel from home when vacation over..
They both have same feelings and thousands of emotions...-