ऐ कांची 🐦   (ज्योति k)
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Dob.. 23rd October.. 🎂
Joined 17 October 2020


Dob.. 23rd October.. 🎂
Joined 17 October 2020

तुम्हारी ये दीवानगी अच्छी तो लगती है ..
आशिकी तुम्हारी सच्ची तो लगती है ...

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बस बसेरे बदल गये ...
बचपन पीछे रूठ गया ...
बाबुल का अंगना छूट गया ...
घर परिवार बदल गये ...
मैं तो पराई थी ...
मां बाप भी बदल गये ...
एक ही तो जिंदगी थी मेरी
पर जीने के अंदाज़ बदल गये ...
रिश्ते नाते तो नाते
एक दिन मैं पहनावे भी बदल गये ...
मैं ढूंढती हूं अस्तित्व मेरा ...
मेरी सोच के मायने भी बदल गये ...
मैं स्मरण करती तो हूं प्रार्थनाओं में
पर इंसान तो क्या ,,
अब भगवान भी बदल गये ...


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मंजिलें भी अपनी है
रास्ते भी अपने हैं
बस हमसफ़र है
जो एक दूजे के वास्ते है ..

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प्यार की खुशबू कहाँ गुलाब की मोहताज है..
महकती वहीं जहाँ फिजाओं में प्यार के बदले प्यार है!!

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हर एक कदम फूंक फूंक कर
चलना पड़ता है...
धानी है चुनरिया दाग पानी से भी लग सकता है
घर परिवार में ख्याल सबका
रखना पड़ता है...
हर रोज परीक्षा होती है और
कसौटी पे खरा उतरना पड़ता है....
खुद की पसंद, नापसंद से भी
समझौता करना पड़ता है..
क्यूँ एक स्त्री को दूसरों की खुशियों
में खुद को तराशना पड़ता है...
बचपन से ही रोक टोक से
गुजरना पड़ता है...
बाबुल की चिरैया को अपनी
आजादी के लिए पिंजरे में फड़फड़ाना
पडता है..
खुद को पूर्ण रूप से समर्पित करने के बाद भी
क्यूँ सीता को अग्नि परीक्षा से
गुजरना पड़ता है..
झूठ कहते हैं कि जमाना बदल गया
पर आज
भी स्त्री को अपने वजूद के लिये संघर्ष
करना पड़ता है...

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कभी कभी बिन बुलाए ही ज़हन में चले आते हो ...
शायद ख्बाव हो कोई जो नींद खुलते ही कहीं खो जाते हो ...

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नहीं बहुत करीब हैं ...😂
शुभ रात्रि

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Read in caption ....👇

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Jab mujhe unke aane ki
Aavaj sunai deti hai raat ko toh m
Mobile fenk kar jhat se ...,👇😁

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कभी कभी आप दिल दुखाने वाली बात भी करते हो ....
हमारी मुस्कुराहट पे इतना तंज क्यूं कसते हो ....

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