बस बसेरे बदल गये ...
बचपन पीछे रूठ गया ...
बाबुल का अंगना छूट गया ...
घर परिवार बदल गये ...
मैं तो पराई थी ...
मां बाप भी बदल गये ...
एक ही तो जिंदगी थी मेरी
पर जीने के अंदाज़ बदल गये ...
रिश्ते नाते तो नाते
एक दिन मैं पहनावे भी बदल गये ...
मैं ढूंढती हूं अस्तित्व मेरा ...
मेरी सोच के मायने भी बदल गये ...
मैं स्मरण करती तो हूं प्रार्थनाओं में
पर इंसान तो क्या ,,
अब भगवान भी बदल गये ...
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