खुशी हो
लिख लेते है
दुःख हो
लिख लेते है
उलझन हो
लिख लेते है
हो मन में कोई बात
लिख लेते है
लिखना न सीखा होता,तो होता क्या
रह जाती हर बात मन तक
होता न लेखनी का भी साथ
तो होता क्या
बिखरे होते जज्बात,यही होता
और होता क्या
अधूरी होती आश
होता न इक कलम का भी साथ
जीवन की तरह कोरे होते पन्ने
बाकी हर ख्यालात
और होता क्या।
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