चलो तुम्हे अपने संघर्ष की कहानी सुनाता हूँ
कैसे निराशावादीयों का पराक्रम से परिचय कराता हूँ
लहरों के शोर में नाव का पाल लगता हूँ
इंद्र के क्रोध को अपना वरदान बनाता हूँ
चक्रवात हो या ज्वार हो कश्ती का बीड़ा उठाता हूँ
अंधेरी रातों में आशा की मशाल जालाता हूँ
भटक ना जाऊ अत: तारों से अनुमान लगता हूँ
मनोबल बना रहे इसलिए वीरों के गीत गुनगुनाता हूँ
ठान लिया जो एक बार तो नौका को पार लगता हूँ
चलो तुम्हे अपने संघर्ष की कहानी सुनाता हूँ
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