समेट कर सारे जज़्बात रख दिये सिरहाने,
थोड़े सुकून के हक़दार हम भी हैं...!!-
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समेट कर सारे जज़्बात रख दिये सिरहाने,
थोड़े सुकून के हक़दार हम भी हैं...!!-
मैं काटा जाउंगा सबका प्यारा होते हुए भी
सड़क के बीच में आया हुआ एक दरख़्त हूं मैं-
मैं रेत जैसा हूं,उन्हें धान की फसल चाहिए,
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अब ढूंढ रहा हूं मैं कोई तरबूज उगाने वाला।-
तलाश ना कर मुझे ज़मीन औ आसमान की गर्दिशों में
••अगर तेरे दिल में नहीं हूं तो कहीं नहीं हूं मैं••-
तुमसे मिलने आऊंगा कभी बादलों के पार,
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मिलने की तुमसे मेरी ख्वाहिश अभी अधूरी है।
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"हसरत भरी निगाहों का मुझे आराम तक नहीं"
"वो यूं बदल गया के अब दुआ सलाम तक नहीं"-
जान से अज़ीज़ था हमें दस्तार की इज़्ज़त
ज़ालिम को सर दे दिया लेकिन सजदा नहीं किया-