ये वहम ही सही, दिल को बहलाए तो क्या हो,
कि हर लफ़्ज़ में तस्वीर तेरी आए तो क्या हो ?
तेरी यादों की जो महफ़िल सजी है हर पल,
अगर चंद अश'आर उसमें गुनगुनाए तो क्या हो ?
ये माना कि नहीं तुझसे मुलाकात मुक़द्दर में,
मगर ख़्वाबों में हर शब तू नज़र आए तो क्या हो ?
वो सादा-रू है और अहमद’ ख़स्ता-जिगर है ग़ालिब'
अगर एक निगाह उस पे भी पड़ जाए तो क्या हो ?-
वैसे भी मुझे किसी को बताना नहीं !
और हाँ एक बिहारी हूँ... read more
तेरे दर्द का आलम सुनाया मज़े ले ले कर,
मैंने भी उसे महसूस कराया मज़े ले ले कर !
नश्तर जो चुभा, वो दिल तक गया,
मैंने भी उसे सहलाया मज़े ले ले कर !
आशिक़, मजनू, पागल जो कहा गया,
मैंने भी वो तमगा अपनाया मज़े ले ले कर !
डूबा जो तू, मैंने भी किनारा छोड़ा,
खुद को भी डुबाया मज़े ले ले कर !
गिरने की सजा, उठने की चाह बनी अहमद’
मैंने भी वो सपना सजाया मज़े ले ले कर !
तेरा शहर, तेरी गली, तेरा घर जो दिखा,
मैंने भी उसे दिल में बसाया मज़े ले ले कर !-
करो तुम मोहब्बत इबादत के जैसे, रूह में बसे वो सौगात के जैसे ! दिल से दिल तक का रिश्ता गहरा, खून में मिले वो जज़्बात के जैसे !
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हम भी वही थे, पर वक्त बदल गया, ख्वाबों का आलम, अब धुंधला पड़ गया ! दिल में थी आग, जो ठंडी हो चली, चाहत की राहें, अब खामोश हो चली !
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चाहत एक चिंगारी, मन में जलती है, ख्वाबों को पंख दे, ऊँचाइयों को छूती है ! दिल की गहराई से, राहें बनाती है, हर कदम पर, उम्मीद जगाती है !
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ध्यान से करो जो भी करो ध्यान से,
दिल की राह को भर दो जान से !
कदम रखो तो नज़रें संभालो,
ख्वाब बुनो अपनी पहचान से !
हर लफ्ज़ में बसाओ एक सुकून,
बात कहो थोड़े आसान से !
ज़िंदगी के रंग हैं अनमोल यहाँ,
इन्हें सजाओ थोड़े सामान से !-
कच्ची नींद में सोने वाले,
सपनों के किनारे पर ठहरते हैं,
आँखें बंद, पर दिल जागता है,
खामोशी में एक शोर बुनते हैं !
हल्की सी चादर ओढ़े हुए,
रात की ठंड को गले लगाते हैं,
नींद आती है, पर टूटती भी है,
यादों के टुकड़े बटोर लाते हैं !
कच्ची नींद में वो अधूरी बातें,
जो दिन में होंठों पे मर जाती हैं,
रात के साये में साँस लेती हैं,
और आँखों से आँसू बन छलकती हैं !
कभी हवा का झोंका उन्हें छूता है,
कभी ख्वाबों का कोई रंग उड़ता है,
कच्ची नींद में सोने वाले,
जागते हुए भी सोया सा जीते हैं !-
एक बार बस ठान लीजिए,
दिल की राह को जान लीजिए !
ख्वाबों की चुपचाप सैर करें,
खामोशी को मान लीजिए !
नज़रों में बसी है एक दुनिया,
उस रंग को पहचान लीजिए !
हवाओं में बिखरी है कशिश,
हर लम्हा संभाल लीजिए !-
फरेब की चादर ओढ़े थे उसके वादे,
दिल को सुलाया था झूठे इरादे !
नज़रों ने बुन दी थी खामोश कहानी,
हकीकत खुली तो टूटे सारे धागे !-
ज़िंदगी ले आई एक नया मोड़,
ख्वाबों ने पाया है सपनों का जोड़ !
रास्ते बदले तो नज़रें भी बदलीं,
दिल में बसाया है टूटे का तोड़ !
हवाओं में गूँजा है अजीब सा शोर,
हर कदम पे दिखा है बदलता शोर !
आँखों ने देखा है किनारा नया,
साहिल को सौंपा है सपनों का छोर !-