वक्त और तवज्जों ही तो मांगा था तुमसे कुछ और तो नहीं।।
हमारे दरमियान ये फासला क्यों, सच बताना कोई और तो नहीं।।
ये तल्खी और बेरुखी दिखानी ही थी तो वो चंद प्यार के अल्फाज क्यों,
क्या तुम ही थी सच बताना कोई और तो नहीं।।
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लिखना शौक है, लक्ष्य कुछ और है(ias)
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अब से कोई ख्वाहिश, न कोई उम्मीद ना कोई शिकायत हो।
प्यार जब दफन करना ही हैं, फिर क्यों बेवजह इश्क-ए-नुमाइश हो।-
ऐसे रूठ कर कोई जाता है क्या।।
इतनी बेरुखी कोई दिखलाता है क्या।।
तुम तो अपने थे पराए कब हो गए,
अपनो पे ऐसे सितम कोई ढाता है क्या।।
मजीद तन्हा ही ठीक थे,
सहारा देकर कोई बेसहारा करता है क्या।।-
सब फीके है रंग जमाने के कोई है जो बेनजीर है,
तुम चली गई इतेलाह किए बिना,आंखे थकी नही पलके अबतक मुंतजिर है।।-
ख्वाब हो,तमन्ना हो,या कोई ख्वाहिश हो,
इतनी जरूरी क्यों बन गई हो आदत हो,मोहब्बत हो या अजमाइश हो।
सूनापन,खालीपन,अकेलापन तो है जिंदगी में और इजाफा करना है मजीद कुछ और तन्हाई हो।
जख्मों का हिसाब हमने नही किया चलो आज उनकी पैमाईश हो।
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ठहरने का इरादा है की जा चुकी हो,
बहुत खामोश हो,याद हूं की भुला चुकी हो।-
कुछ इस हद तक मुझे यकीन दिलाया गया।।
मुझसे प्यार करने का भरोसा दिलाया गया।।
और जब दिल उनपर आ गया तो शरारत का नाम देकर झुठलाया गया।।
सब मजाक था ये बतलाया गया।।
ऐ सीतमगार ऐसी सितम फिर ना करना।।
रिश्तों और जज्बातों से कभी फिर ऐसा खेल ना करना।।
ये दिन मुझे ताउम्र याद रहेगा,किस तरह मेरा मजाक बनाया गया।।
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सिर्फ तुम्हारा साथ ही तो मांगा है,कोई बहुत बड़ी ख्वाहिश तो नही करदी।।
ये क्या बात हुई, तुम नाराज होकर खुदा से मेरी शिकायत करदी।।-
लगता था इस दिल को अब ना प्यार होगा।।
नजरो का तीर दिल के ना आर पार होगा।।
पर ये बात तब की है जब तक तुमसे मिला नही था,
लगता है ये मोहब्बत ताउम्र सिर्फ इंतजार में होगा।।-
मुकम्मल ख्वाब,अधूरा सफर हमसफर।।
नासाज कर गया मुझे,अब क्या कुछ असर ,
मेरा सब कुछ बेअसर।।-