नकली आदिवासी तेल के दौर में ,
यहाँ खोजते हो इश्क़ सच्चा ।
किसी के भ्रम में मत रहो ,
पढ़ लिख के आईएस वाईएस बनो बच्चा ।।
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तुम मिलना मुझसे तो सिर्फ़ ऐसे
यमुना आलिंगित होती है गंगा की लहरों से
और बिझड़ना भी प्रिये ! तो सिर्फ़ ऐसे
जैसे दूर भागती है सोन , नर्मदा की बाहों से
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।। जबसे छोड़ा है उसने , ये वक्त भी भारी लगता है ।।
।। मुझको अब 30 मिनिट भी , आधा घंटा लगता है ।।
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।। मैं जो सच कहूंगा , तो यकीनन रूठ जाओगे ।।
।। तुम किसी झूठ की , ख़्वाबगाह में चले जाओ ।।
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सिर्फ़ सत्ता पाना चाहता है हर कोई यहाँ
वोटर के दर्द को ह्रदय में रखेगा कौन ?
जो करते रहे सिर्फ़ हँसी ठिठोली अग़र
प्रेम के विरह को शब्द रूप देगा कौन ?
सब देते रहे भाषण - ही - भाषण अग़र
कृषक आय को दोगुना करेगा कौन ?
जो उलझे रहे जात - पांत - धर्म में अग़र
अमृतकाल के लक्ष्य को पूरा करेगा कौन ?
फंस गए टिकटोकिया माया जाल में अग़र
कृष्ण की धरा को गीता ज्ञान देगा कौन ?
कृष्णा ही निकाले मुश्किलों का हल अग़र
अपने हक़ के लिए उठ - खड़ा होगा कौन ?
और सारा कुछ लिख दिया आज ही अग़र
तो कल समस्याओं पर चिंतन करेगा कौन ?-
वो चाहती है , एक परिपक्व - समझदार लड़का ।
यार ! उसे कौन समझाये, समझदार इश्क़ नहीं करते ।।
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मैं कृष्ण द्वारिकाधीश कोई ,
तुम शिव का हो अंश प्रिये ।
मैं दिवाली की रौनक हूं ,
तुम होली वाला जश्न प्रिये ।।
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नया साल आयेगा , तो खोजेंगे महबूब नया
दिसंबर उसकी याद का , महीना आखिरी है
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तुम बुधवार की आउटिंग हो
मैं सात बजे का समय प्रिये
तुम आइसक्रीम सी नाजुक हो
मैं हैप्पी बर्थडे का शोर प्रिये
तुम फूलों वाली बगिया हो
मैं उसमें नाचती मोर प्रिये
तुम मेरे ह्रदय की आस्था हो
मैं तुममें शामिल जीत प्रिये
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क्यों रखे किसी और से वास्ता
काफी हैं हम और आस्था
लड़ – झगड़ भी लेते हैं हम
क्यों दिल में रखे काश–सा
जो न होते हम पास तुम्हारे
तुमको जीवन सत्य कौन बताता
आ गया है जन्मदिन भी अब
लाओ यार! अच्छा – सा नाश्ता
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