अब ना जिस्मों के बंधन हों ना रूहों के नाते हों
एक अजनबी हो और इधर उधर की बातें हों
मन भर गया है मेरा इस दुनिया से
अब मुझे जाना है वहाँ, जहाँ खत भी ना जाते हों ।-
ahalfbook
(ahalfbook)
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हर जिंदगी-ए-जंग मुझ से मेरा ,
बहुत कुछ ले जाती है ।
कहाँ पहले सा मैं रहता हूँ ,
कहाँ पहले सी ... read more
बहुत कुछ ले जाती है ।
कहाँ पहले सा मैं रहता हूँ ,
कहाँ पहले सी ... read more
Joined 23 June 2020
26 SEP 2020 AT 23:31
15 FEB 2021 AT 22:46
जो कभी सुरूर था दिल का
वही फिर दिल को अखरने लगे
कटते ना थे कुछ पल भी जिन के बिना
बिन उनके
पहले घँटे, फिर पहर , फिर दिन गुजरने लगे ।-
11 FEB 2021 AT 23:35
एक गुलाब हमारा भी था उन गुलाबों में
जो सूख गए, तेरी दहलीज पर पड़े पड़े ।-
10 FEB 2021 AT 22:33
गिरा के ही समझाना जरूरी है क्या जिंदगी ?
तू समझा के भी तो समझा सकती है ।-