ahalfbook   (ahalfbook)
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Joined 23 June 2020


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Joined 23 June 2020
26 SEP 2020 AT 23:31

अब ना जिस्मों के बंधन हों ना रूहों के नाते हों
एक अजनबी हो और इधर उधर की बातें हों
मन भर गया है मेरा इस दुनिया से
अब मुझे जाना है वहाँ, जहाँ खत भी ना जाते हों ।

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29 MAY 2021 AT 19:51

मज़बूरियों की इन्तहा ना पूछो
दुःख भी बड़ी खुशी से मना रहा हूँ ।

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22 FEB 2021 AT 22:07

तो बहरे को भी सुनता है

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17 FEB 2021 AT 10:45

एक block ka option
तो तेरी यादों के लिये भी होना चाहिये

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16 FEB 2021 AT 9:22

और एक दीया ही काफी है
उजाले के लिये।

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15 FEB 2021 AT 22:46

जो कभी सुरूर था दिल का
वही फिर दिल को अखरने लगे
कटते ना थे कुछ पल भी जिन के बिना
बिन उनके
पहले घँटे, फिर पहर , फिर दिन गुजरने लगे ।

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14 FEB 2021 AT 23:22


ये प्यार का मौसम खत्म हो तो थोड़ा सुकून मिले ।

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11 FEB 2021 AT 23:35

एक गुलाब हमारा भी था उन गुलाबों में
जो सूख गए, तेरी दहलीज पर पड़े पड़े ।

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10 FEB 2021 AT 22:33

गिरा के ही समझाना जरूरी है क्या जिंदगी ?
तू समझा के भी तो समझा सकती है ।

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9 FEB 2021 AT 23:19

कितना मुश्किल होता है कुछ कहना
जब कुछ ना कहना हो ।

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