Agrawal Ayush   (Ayushoriginal©)
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Joined 16 December 2017


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Joined 16 December 2017
10 NOV 2024 AT 1:27

अब तो इन्तज़ार की भी इन्तेहा
हों चुकी हैं।

लिखें जिसमें नज़्में तुझ पर
वो किताब कहीं खो चुकी हैं।

अब सोचता हूं शायद याद
ना करने का तुझे।

पर समझें कहा मन को तुम्हें
गए काफी देर हो चुकी हैं।

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24 JUL 2024 AT 23:02

पर उसके रुप बहुत से थे कमबख्त में
हर रुप से मोहब्बत कर बैठा।

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14 JUL 2024 AT 21:48

Jaane kesa yeh kab kissa hua..
Kyu शायराना mera kuch hissa hua..

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12 JUL 2024 AT 15:08

वो कुछ फरिश्ते से मिले हमको,
और जिंदगी के रंग हीं बदल गए!

बस हमें आदत लगी उनकी और
उनके धंग हीं बदल गए!

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19 MAY 2024 AT 13:48

Undo, backspace and eraser are few of my prominent enemies!

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18 JAN 2024 AT 23:43

अब लिखकर उसे भुलाना चाहते होंगे
शायद शायर।
और फिर महफ़िल ने उनसे
एक ओर ग़ज़ल की गुज़ारिश की होगी।

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1 JAN 2024 AT 0:17

अब हम फाड़ देंगे पन्ने उस किताब से
जिस पर लिखा तेरा नाम होगा।

जिस शख्स कि जगह हो मन में उसका
कागज़ पर क्या काम होगा।

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16 DEC 2023 AT 19:49

Anjaane se lagte hai khudko,
Jaane kese par,
log humko pehchante hai!

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15 DEC 2023 AT 21:28

मैं खोता चला गया था
यूं साथ तेरे।
तुझे खोकर में कहीं
खुद से भी कभी मिला नहीं।

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21 NOV 2023 AT 2:40

मांग कर भी देख लिया
ख़ुदा से हार रोज़।
अब मेरी वो सुन भी ले तो उसका
कहर लगता है ।

जिस तरह चाहा था हमने
किसी रोज़।
अब कोई चाहें भी तो हमको
ज़हर लगता है!

जिस जगह घर था उसका
मोहल्ला वो जान था मेरी!
आज मुड़ कर देखे तो
बंजर उसका शहर लगता है!

चाहकर भी देख लिया हमने
किसी रोज़।
अब चाहने का सोचना भी
ज़हर लगता है।

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