किसी सुरंग में चलना,
गहरे नीले रंग से पुती हो
जिसकी दीवारे
रौशनी थोड़ी कम हो मगर
रंग बहुत गहरा हो।
आकाश का एक
छोर मेरी आशाओं से बंधा हो
और दूसरा निराशावाद से,
जीवन सुखी तलहटी से जुड़ा
या किसी रेजगार से
जहां से न दिखे
सवेरे, राते और रौशन गलियां
धुंध ही धुंध हो
शून्य को घूरती बूढ़ी आंखे
नरभखियों से तो बेहतर होगी।
युँ मेरा बेसुध हो जाना
और फिर उसी खाई में गिर जाना,
थोड़ा ठगा सा लगता है
मगर ये
अंधेरे में कैद सूनेपन से अच्छा है।
किसी सुरंग में
चलना और
यूँ बेसुध हो जाना।
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