देखा मैंने एक बगीचा, भिन्न रंगों के फूलों से भरा, कोई इसे बोले भारत, तो कोई इसे बोले इंडिया, कोई गुनगुनाए, सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा; बोली है अनेक, पोशाकें भी है अलग, अलग है खान पान भी, है एक बगीचा, भिन्न रंगों और खुशबुओं से भरा ।
देखो एक कहानीवाला आया, कहानियां इतनी जानी पहचानी कैसे सुनाया? मानो मेरी ज़िंदगी के पन्नों से उभर के उठे, पूछा मुड़कर कहानीवाले से, "ज़िंदगी की किताब का तोहफ़ा, ज़िंदगी भर संभाल कर रखना", बस यही शब्द चारों ओर गूंजा ।।
रंगों वाले रोशनी की दिवाली, दियों के रंगों वाली दिवाली, रंगों से भरी मिठाईयों वाली दिवाली, रंगोली के रंगों वाली दिवाली, रंगों ने भी क्या जादू है चलाया, इस दिवाली को भी रंगों वाला बनाया ।