पढ़ा था जो किताबों में वही सब कुछ हुआ भी है,
बहुत ढूंँढा नहीं पाया कहीं पर तो ख़ुदा भी है,
नहीं मिलता पता था ये मगर दिल की रही ख़्वाहिश
मिले मुझको कहीं पर तो कहूंँ कोई फ़िदा भी है,
दुआ में भी तुम्हें मांँगा इबादत में किया गिर्या
मोहब्बत है अगर नुक़सान तो इसमें नफ़ा भी है,
तुम्हें तोहफ़ा जो भेजा है बहुत ही कीमती है सब
हमारा दिल, तेरी हसरत, मोहब्बत भी, दुआ भी है,
-