Afzal Sultanpuri   (Afzal Sultanpuri)
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Joined 5 September 2017


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22 APR AT 16:27

इश्क़ की सरहदों को पार करो
कर सको गर तभी तो यार करो

करना आए अगर सलीके से
बे-तहाशा सनम को प्यार करो

जो मोहब्बत का सुन के दौड़ पड़े
ऐसे लड़कों को होशियार करो

जिस्म को रौंदने का आदी हो
ऐसे आशिक़ को आश्कार करो

वो फरेबी हुआ गलत क्या है
हाँ मगर तुम तो ए'तिबार करो

तुमको अल्लाह खुश रखे हरदम
ये दुआ रोज़ बार-बार करो

लौट आएगा एक दिन अफ़ज़ल
सब्र से साथ इंतिज़ार करो

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12 APR AT 21:59

ये सफ़र जब तवील लगता है
दूर इतना कि मील लगता है

इस तरह पाँव में पड़े छाले
एक तिनका भी कील लगता है

बात करने का जो सलीका है
परवरिश में ही ढील लगता है

जो फरिश्ता करीब बैठा है
मुझको तो इज़राइल लगता है

इक परिंदा उड़ा हिफाज़त में
काबे का अबाबील लगता है

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11 APR AT 20:56

ईद का दिन और तुम हो,
पास तुम हो और गुम हो,

दिल तिरा अब हो गया है
खुश रहो ना ही गुमसुम हो,

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9 APR AT 4:32

ख़त्म होनी थी ये कहानी भी,
मर गया राजा और रानी भी,

नाम उसका नहीं लिया मैंने
ऊला बेढंग बिगड़ा सानी भी,

ऐसे अल्फाज़ लिख लिए मैंने
जिसका कोई नहीं है मानी भी,

वो गुलाबी में खूब लगती है
उसपे जचती है रंग धानी भी,

हर कोई देखकर तड़पता है
मछली तड़पी अगरचे पानी भी,

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3 APR AT 11:28

पढ़ा था जो किताबों में वही सब कुछ हुआ भी है,
बहुत ढूंँढा नहीं पाया कहीं पर तो ख़ुदा भी है,

नहीं मिलता पता था ये मगर दिल की रही ख़्वाहिश
मिले मुझको कहीं पर तो कहूंँ कोई फ़िदा भी है,

दुआ में भी तुम्हें मांँगा इबादत में किया गिर्या
मोहब्बत है अगर नुक़सान तो इसमें नफ़ा भी है,

तुम्हें तोहफ़ा जो भेजा है बहुत ही कीमती है सब
हमारा दिल, तेरी हसरत, मोहब्बत भी, दुआ भी है,

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1 APR AT 9:56

तुम सा उम्दा मिसाल है भी नहीं,
चीखूँ तुम पर मज़ाल है भी नहीं,

ख़ुद को बरबाद कर लिया हमने
और इसका मलाल है भी नहीं,

आप पर ज़ुल्म कर नहीं सकता
दिल में गंदा ख़्याल है भी नहीं,

इस पे तो ऐतराज बनता है
ख़ैर कोई सवाल है भी नहीं,

मौत को याद करना अफ़ज़ल है
खुदकुशी कुछ कमाल है भी नहीं,

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29 MAR AT 23:07

करूंँ सज़दा पढूंँ कलमा इबादत में लगे रहना
हमें अफ़ज़ल नहीं लगता ज़िहालत में लगे रहना

इजाज़त हो अगर हमको हमें ये बात कहनी है
सियासत से यही अच्छा रिसालत में लगे रहना

अज़ीज़ों और जो हैं दोस्त वो सुन लें मिरी बातें
मनाज़िर देख बतला दूँ हिदायत में लगे रहना

इधर कोई न आएगा कहे जो राह हूँ भटका
अगर आया यहाँ कोई जमाअत में लगे रहना

इरादा कर लिया जाए तो फिर पीछे नहीं हटते
जहां कुछ भी कहे लेकिन मोहब्बत में लगे रहना

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24 MAR AT 15:55

खून से तन हमारा धोता है,
दिल को बेहद सुकून होता है,

खून की उल्टियाँ हुई , आगे
देखना है कि क्या ही होता है,

मौत आई तो देखना यारों
यार कैसे हमारा रोता है,

सारे मिलकर यही तो देखेंगे
कब्र में यार कैसे सोता है,

मार डालो हमें सर ए महफ़िल
टूटकर कौन किसका होता है,

एक दिन मर गया वही शायर
वो कहानी को यूं पिरोता है,

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24 MAR AT 1:16

जा रहा हूं दुआएं मत देना
मैं हूं बहरा सदाएं मत देना

नीच है शख्सियत हमारी तो
हमको अपनी अदाएं मत देना

क़त्ल करना हमारी हसरत का
हमको अच्छी हवाएं मत देना

मुझको बीमार रहने देना तुम
मुझको मेरी दवाएं मत देना

टुकड़े मेरे हज़ार करना तुम
कोई हल्की सजाएं मत देना

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23 MAR AT 23:51

देखना था यही हकीकत में,
क्या है हासिल हमें अजीयत में,

भूल जाएं किसी कि खातिर हम
ये तो मुमकिन नहीं मोहब्बत में,

इश्क़ में दे नहीं सके धोखा
ये इजाज़त नहीं शरीयत में,

एक तुमको ही मान बैठा सब
शिर्क होता नहीं इबादत में,

दिल का सौदा नहीं हुआ हमसे
ना खयानत हुई अमानत में,

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