हां देखता हूं उसको मगर मैं बे-शर्म नहीं!
वो देखने लगे मुझको तो मै देखता नहीं,
उसे न देखे तो किसे देखे भला!
और इस शहर में कोई देखने लायक तो नहीं।-
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जब देखा उसे पहली मर्तबा तो उससे प्यार हुआ,
जब हुए पहलू ए मुलाक़ात तो उससे मोहब्बत हुई!
और जब वो बिछड़े तो हम उससे इश्क़ कर बैठे।-
टूटा है दिल! फिर उसे जोड़कर आए है,
हम यहां नफरतों को मिटाने आए है।
मोहब्बत की और क्या मिसाल होगी,
हम "चित्रोत्पला" में वज़ू कर नमाज़ पढ़के आए है।-
घर, शहर और दोस्त से बिछड़ने का आज भी है मुझे गम,
आह सफ़र ए जिन्दगी!
न बिलासपुर के रहे! और न ही रायपुर के रहे हम।-
तुम्हारे बाद नखरे न उठाए गए मुझसे,
तुम्हारे बाद किसी को भी न मनाया मैने।-
हमारी तो शब गुज़र ही जाएगी इबादतों में,
वो हसीं जिसके हमसाए है! उसे "ईद मुबारक"🌙-
तुम Shibra जैसी मोहब्बत की नज़र से देखो तो सही,
मैं इश्क़ Fazal Baksh की तरह न करू तो कहना।-
वैसे कुछ काम तो नही ज़रूरी! मुझे तुमसे,
मगर किसी शब सामने बैठो! तो ज़ी भर के देखूं तुझे।
सवाल इशारों में करूंगा! मैं मजीद तुमसे,
जवाब निगाहों से देना! तुम सिर्फ़ इक मुझे।।-
वो ज़माना और था जब थी तेरी ज़िद्द-ओ-हसरत मुझे,
और ये बात भी है! ज़माना हुआ ज़ी भर के देखे तुझे।-