Aftab Alam Officials   (Path_Of_Pain)
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Joined 26 February 2019


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17 FEB AT 20:51

दरख्तों के पत्ते अब झड़ने वाले है
अब मौसम पतझड़ आने वाले है I

नए पत्ते नई उम्मीद ये मौसम जो
घर जा रहा मेहमान आने वाले है I

वैसे चाय ज्यादा कड़क हो गई थी
जल्दी चलो बरसात आने वाले है I

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2 JAN AT 22:37

यकीनन दर्द जब दिलों के साथ रहे
इन आंखों से अनचाही बरसात रहे

अब्र भी थम जाए कुछ लम्हों के लिए
मन कैसे रुके जब बेइंतहां खास रहे II

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11 JUN 2023 AT 11:19

एक दिन मैं भी अपने अधूरी कहानी क़े साथ
एक अँधेरे कमरे में सी सकता हुआ
तुम्हारी हर अच्छाइयों को और साथ बिताए
अच्छे - बुरे लम्हों को याद करूंगा

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11 JUN 2023 AT 11:06

एक दिन मै भी औरो की तरह
अखबार क़े पन्नों पर आऊंगा
गुमशुदा की खबर रहेगी औऱ
मै कहीं डूब कर मर जाऊंगा

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24 NOV 2021 AT 18:21

तू न रहे शहर मे तो मैं शहर न आऊँ
तेरे बग़ैर शहर सुना सुना लगता है।

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3 NOV 2021 AT 13:05

जो डूब गया वो क्या निकलेगा।

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3 NOV 2021 AT 13:01

यहाँ घुट रहा है दम हमारा, न जाने क़ब्र में क्या होंगा।

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12 OCT 2021 AT 6:29

हर समय ज़मीन समतल नही होता है।

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27 JUL 2021 AT 4:07

मैंअपने दौर का शायर हू,
हर दौर से होकर आया हू,
#हाफी से है तहज़ीब चुराई,
#जरयून की मस्ती लाया हू,
#नज्मी के पिंजरे से उड़कर,
मैं जंगल सीता आया हू,
#आमिर के अंदाज मे सुनलो,
#जालीब की बगावत लाया हू,
#गुलज़ार की खुशबु साथ लिए,
मैं सरहद तोड़ कर आया हू,
#जाॅन को मुरसिद माना है,
ताबीज ए #मोहशीन लाया हू,
बचपन मे #फै़ज़ को सुनता था,
#फराज को पढ़कर आया हू,
#सागर से दरवेशी सीखी है,
#नासिर से चर्चा लाया हू,
#दर्द के दर्द को पाला है,
#मीर से मिसरे लाया हू,
#ग़ालिब मेरा साक़ी है,
#जिगर से प्याला लाया हू,
#अमृता रूठी बैठी है,
#साहिर को मनाने लाया हू,
और एक यार मनाना है मुझको,
मैं #बुल्ला बनकर आया हू,
#वारिस का इश्क हकीकी था,
मैं #हीर मिजाजी लाया हू,
#इकबाल को हाथ नहीं डाला,
बस पाऊँ चूम कर आया हू... ✍️

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27 JUL 2021 AT 4:02

मैंने दहेज नही माँगा है

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