रोज़ बिखर के फिर उटती हूँ , तेरी याद में तनहा सी रहती हूँ , लबों से मुस्कुराती , अशको को छुपाती रोज़ मरकर फिर जीति हूँ -
रोज़ बिखर के फिर उटती हूँ , तेरी याद में तनहा सी रहती हूँ , लबों से मुस्कुराती , अशको को छुपाती रोज़ मरकर फिर जीति हूँ
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दिल में सुलगती आग कही खुद को ही राख ना करदे , खामोशियाँ मेरे लब की कही मुझे बर्बाद ना कर दे । -
दिल में सुलगती आग कही खुद को ही राख ना करदे , खामोशियाँ मेरे लब की कही मुझे बर्बाद ना कर दे ।
आज कुछ अंदर दफ़न करके आए है , ज़िंदगी की राह पे खुद को जला के आए है , ना उमीद कोई अब , ना हसरतें रही आज सब कुछ मिटा के आए है . -
आज कुछ अंदर दफ़न करके आए है , ज़िंदगी की राह पे खुद को जला के आए है , ना उमीद कोई अब , ना हसरतें रही आज सब कुछ मिटा के आए है .
दर्द तो दिल में बहुत था पर रोए नहीं हम ,मंज़िल मुशकिल भी बहुत थी पर हारे नहीं हम , यहाँ अपना कोई नहीं ये समझ गए हम । -
दर्द तो दिल में बहुत था पर रोए नहीं हम ,मंज़िल मुशकिल भी बहुत थी पर हारे नहीं हम , यहाँ अपना कोई नहीं ये समझ गए हम ।
सच्चे दिल टूटने की आवाज़ नहीं होती और सच्चे प्यार की कभी हार नहीं होती . -
सच्चे दिल टूटने की आवाज़ नहीं होती और सच्चे प्यार की कभी हार नहीं होती .
ज़िंदगी बिखर गई है टूटें रिश्तों में …. क्या समेटूँ में प्यार के धोके में -
ज़िंदगी बिखर गई है टूटें रिश्तों में …. क्या समेटूँ में प्यार के धोके में
ख़ाबो की हवा से खवाइशो को उड़ता देखा .ज़िंदगी की सछाई में उन्हें फिर बिखरता देखा . -
ख़ाबो की हवा से खवाइशो को उड़ता देखा .ज़िंदगी की सछाई में उन्हें फिर बिखरता देखा .
ज़िंदगी के मेले में खुद को अकेला ही पाया !जब साथ चाहा जिसका ,धोखा ही खाया . -
ज़िंदगी के मेले में खुद को अकेला ही पाया !जब साथ चाहा जिसका ,धोखा ही खाया .
हम खाबों के समन्दर में चांद को छू आये तुझसे बात कर , हम जन्नत से लौट आये ! -
हम खाबों के समन्दर में चांद को छू आये तुझसे बात कर , हम जन्नत से लौट आये !
बड़े बेवफ़ा है ये अश्कबिना दस्तक दिये चले आते है , कुशी हो या गम , तुझे याद करकेयूहीं बिखार जाते है . -
बड़े बेवफ़ा है ये अश्कबिना दस्तक दिये चले आते है , कुशी हो या गम , तुझे याद करकेयूहीं बिखार जाते है .